प्रदीप शर्मा संपादक
सर्वसमाज के बैनर तले प्रदेश कांग्रेस महिला सेवादल अध्यक्ष अवनी बंसल द्वारा नगर के ऐतिहासिक घंटाघर चौक पर की जा रही भूख हड़ताल को पूरे 15 दिन बीत गए। फटाका फैक्ट्री में ब्लास्ट पीड़ितों को मदद दिलाने की जिद ऐसी कि वे अपने सगे भाई की शादी के माता पूजन में भी नहीं गई। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की प्रतिमा समक्ष एक पखवाड़े से जारी भूख हड़ताल में उनका वजन 15 किलो घट गया, मगर वे टस से मस नहीं हुई। निरंतर चली इस हड़ताल में बस एक टीस रह गई कि जिला प्रशासन के किसी बड़े अधिकारी ने मौके पर पहुंचकर कोई ठोस आश्वासन नहीं दिया।
आज शुक्रवार को अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के मौके पर पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने धरना स्थल पहुंचकर हालात जाने। उन्होंने प्रशासन को चेतावनी दी कि फटाका फैक्ट्री में हुए ब्लास्ट के पीड़ित परिवारों को सभी जरूरी मदद दी जाए, और हमारी सभी न्यायोचित मांगें पूरी हों। नहीं तो हम 16 मार्च को बड़े स्तर पर आंदोलन करने को बाध्य होंगे।
उन्होंने अवनी बंसल के बिगड़ते स्वास्थ को देखकर उनका उपवास तुड़वाने का भी प्रयास किया। इस दौरान कांग्रेस नेत्री मीनाक्षी नटराजन, विधायक डाॅ. आरके दोगने, हेमंत टाले, आमिर पटेल, अशोक बंसल, हरिमोहन शर्मा और अन्य पदाधिकारी मौजूद थे।
धरना स्थल पर संबोधित करते हुए अवनी बंसल ने कहा कि हमारे इस आंदोलन के असल सूत्रधार पूर्व नगर पालिका अध्यक्ष हेमंत टाले हैं। हमारी मांग है कि मानव निर्मित इस त्रासदी में बेघर और बेरोजगार हुए परिवारों की मदद के नाम पर अभी बहुत कुछ किया जाना शेष है। इसके अलावा दोषियों पर भी कड़ी कार्रवाई करने की आवश्यकता है। ताकि ऐसी बड़ी दुर्घटना दोबारा न हो।
ब्लास्ट मामले में कुछ सुलगते सवाल
मगरधा रोड पर फटाका फैक्ट्री में हुए भीषण ब्लास्ट की घटना को पूरा एक माह बीत चुका है। मौके पर हुई अव्यवस्था और सामने आए पीड़ितों और घायलों हित मृतकों के परिवारों को थोड़ी-बहुत मदद देकर शासन-प्रशासन ने भी एक तरह से अपनी ड्यूटी पूरी तरह निभा ली। मगर पीड़ितजनों, बेघरों और रोजगार विहीन हुए परिवारों की मदद के नाम पर अभी तक ऊंट के मुंह में जीरा भी नहीं पहुंचा। इस धरने को लेकर प्रशासन की भूमिका पर भी सवाल खड़े होते हैं –
-धरना स्थल पर ठंडी रातों में बैठी महिलाओं की सुरक्षा और सुविधा हेतु क्या इंतजाम किए गए।
– पीड़ितों की मागों और उनकी दशा जानने कोई सक्षम अधिकारी धरना मौके पर क्यों नहीं आया।
वहीं ब्लास्ट घटना को लेकर भी जनमानस में अनेक सवाल सुलग रहे हैं, जिनका निराकरण समय पर किया जाना चाहिए-
–आरोपी का निर्माण कार्य अकेले मगरधा रोड पर ही नहीं बल्कि अन्य जगह भी चलता रहा है। सो उसकी इन फैक्ट्रियों और अन्य गोदामों में कितने रुपए मूल्य का माल मिला।
इनका क्या हुआ।
क्या इन्हें डिफ्यूज कराने कहीं भेजा है। इनका क्या हुआ।
क्या यह माल आरोपी को दिए परमिट में वर्णित क्षमता से अधिक है। यदि ऐसा है तो इतना माल यहां किस फर्जी नाम से कहां-कहां से आता रहा है। और इतने बड़े स्तर पर चल रहे विस्फोटक पदार्थ के कारोबार में प्रशासन के किन अधिकारियों को लापरवाह माना जाए।
ऐसे अनेक सवाल जनमानस में कौंध रहे हैं।