भोपाल। विशिष्ट प्राकृतिक स्थल और मानव निर्मित संरचनाओं के साथ कौतुहलपूर्ण स्थानों के मामले में मध्यप्रदेश में अनमोल खजाना बिखरा पड़ा है। राजनीतिक प्रयासों में कमी या शासकीय स्तर पर लापरवाही के चलते लंबे समय से मध्यप्रदेश की ऐतिहासिक और प्राचीन धरोहरों को वैश्विक स्तर पर पहचान नहीं मिल पा रही थी। प्रदेश की लंबे समय से मध्यप्रदेश की ऐतिहासिक और प्राचीन धरोहरों को वैश्विक स्तर पर पहचान नहीं मिल पा रही थी। मगर अब हालात बदल रहे हैं। यही वजह है कि अब यूनेस्को की टीम यहां का दौरा कर ऐसे स्थानों पर संज्ञान ले रही है, और इसके सुपरिणाम भी सामने आ रहे हैं।
6 स्थान वैश्विक धरोहर बने
विगत दिनों यहां आए यूनेस्को के एक दल द्वारा प्रदेश की विशिष्ट धरोहरों का अवलोकन कर अपनी रिपोर्ट भेजते हुए, इन्हें वैश्विक धरोहर की सूची में शामिल करने की अनुशंसा की गई थी। कुछ दिनों पहले आए यूनेस्को दल की अनुशंसा बाद यहां की कुछ विशिष्ट संरचनाओं को वैश्विक पहचान मिलने का रास्ता साफ हुआ है।
इन्हें विश्व धरोहर माना
प्रदेश के छह ऐतिहासिक और प्राचीन स्थलों, इमारतों और धरोहरों को यूनेस्को ने विश्व हेरिटेज सेंटर की अस्थायी सूची में विश्व धरोहर के रूप में सम्मिलित किया गया है। इसमें ग्वालियर ऐतिहासिक किला, धमनार का समूह, भोजपुर का भोजेश्वर महादेव मंदिर, चंबल घाटी के रॉक कला स्थल, खूनी भंडारा, बुरहानपुर और रामनगर, मंडला का गोंड स्मारक इसमें शामिल किए गए हैं।
क्या मिलेगा लाभ
इस सूची में शामिल होने के बाद शासन द्वारा इन महत्वपूर्ण स्थलों के रख-रखाव करने के साथ पर्यटकों के आने-जाने हेतु विभिन्न सुविधाओं का विस्तार किया जाएगा। इसके अलावा इन स्थानों की वैश्विक स्तर पर विशेष पहचान भी बनेगी। इसके साथ ही प्रदेश के पर्यटन उद्योग में भी बूम आएगा। इससे प्रदेश के छोटे-बड़े कारोबार में तेजी आएगी।
कहां हैं संभावनाएं
बहरहाल मध्यप्रदेश में अभी भी ऐसे अनेक स्थल हैं जिन्हें प्रकाश में लाया जाना है। खासकर सुदूर ग्रामीण और पहाड़ी अंचलों में ऐसी अनेक मानव निर्मित तथा प्राकृतिक संरचनाएं हैं जिनका शिल्प हैरतमय है। यदि शासन द्वारा समय-समय पर विशेषज्ञों के दल भेजकर इनकी खूबियों का प्रचार-प्रसार किया जाए तो इन्हें भी विश्व स्तर पर पहचान मिल सकेगी। इस बारेे स्थानीय स्तर पर मीडिया, और जनप्रतिनिधियों को विशेष प्रयास करने होंगे।
इन स्थानों पर विशेष संभावना
आपको बता दें मध्यप्रदेश के नर्मदापुरम संभाग अंतर्गत नर्मदापुरम, बैतूल और हरदा में जिले की सतपुड़ा पहाड़ी क्षेत्र में गौंड राजवंशों द्वारा निर्मित किले, तोप और अनेक कलाकृतियों के भंडार छिपे हुए हैं। इनमें हरदा के हंडिया तहसील अंतर्गत तेली की सराय, देवास जिले के नेमावर स्थित सिद्धेश्वर और हंडिया स्थित रिद्धेश्वर महादेव मंदिर,जोगा का किला, हरदा के मसनगांव समीप बीवर की गुफाएं, सिराली तहसील में मकड़ाई राजघराने का किला और शाह राजवंश की ऐतिहासिक तोप, नर्मदापुरम जिले के नर्मदापुरम शहर में पहाड़िया पर हजारों साल पूर्व बनी चित्रकारी, सिवनी मालवा तहसील में ग्राम लोखरतलाई समीप विशाल किला, खंडवा जिले में निर्मित असीरगढ़ का किला, ओमकारेश्वर में नर्मदा की ओमकार परिक्रमा, संत सिंगाजी का समाधिस्थल सहित बैतूल जिले में गौंड राजघरानों के किले इत्यादि विशेष धरोहर में शामिल किए जा सकते हैं। इसके अतिरिक्त मध्यप्रदेश के अन्य जिलों जबलपुर का भेड़ाघाट, झाबुआ, रीवा, सतना, राजगढ़, रायसेन, देवास में भी ऐसी अनेक संरचनाएं हैं जिन्हें प्रकाश में लाया जा सकता है।
पर्यटन विभाग को देना होगा ध्यान
मध्यप्रदेश शासन के पर्यटन विभाग द्वारा सभी जिलों में छिपे ऐसे स्थानों का पता कर इनकी जानकारी अपनी बुकलेट में प्रकाशित करना चाहिए। यहां आने वाले पर्यटकों को यह जानकारी देकर वहां जाने और आसपास ठहरने आदि के इंतजार कराकर पर्यटन उद्योग को बढ़ावा दिया जा सकता है। विदेशी पर्यटकों के आने से यहां की खूबियों को विश्व स्तर पर जानकारी भी मिलेगी।