प्रदीप शर्मा संपादक
4 जून को शाम 4 बजे तक आए लोकसभा चुनाव के रुझानों से कांग्रेस नेता खुश तो बहुत होंगे कि भाजपा का 400 पार वाला लक्ष्य हवाई हो गया। अब उसे अपने गठबंधन के बूते पर सरकार बनानी पड़ेगी। मगर इस खुशी के बावजूद एक अदद सवाल है कि अब उन आरोपों का क्या होगा जो सिस्टम पर लगाए गए थे। क्या अब ईवीएम मशीन इमानदार हो गई है। और यह भी कि क्या देश के उन डेढ़ सौ डीएम ने केंद्रीय मंत्री अमित शाह के कथित फोन की बातें नहीं मानी। ऐसे अनेक सवाल बने हुए हैं जो इनके नेताओं और थिंकटैंकों ने समय-समय पर लगाए हैं। इसमें चुनाव आयोग ने द्वारा दिए गए नोटिस पर उन्हें डीएम को फोन संबंधी आरोपों का स्पष्ट प्रमाण देना बाकी है। ऐसा करके वह एक जिम्मेदार पार्टी होने का भी प्रमाण दे देगी।
ऐसा नहीं है कि देश में लोकसभा के चुनाव 2024 में पहली बार नहीं हो रहे थे। इसके पहले भी चुनाव हुए और हार के बाद विपक्षी दलों के नेताओं ने इसे विनम्रता से स्वीकार किया है। किंतु पूर्ववर्ती परंपरा को कांग्रेस व अन्य दलों निभाने में पीछे हट गए। अभी जो नतीजे और रुझान आ रहे हैं उससे साफ है कि फूल खिला है तो सायकिल भी चली और हाथ को भी काम मिल गया है। इसमें भाजपा अपने एलायंस के साथ लगातार तीसरी बार सरकार बना लेगी। विपक्ष को भी सम्मानजनक जनादेश मिला है। इसे स्वीकार कर अपनी भूमिका संभालना कुशल राजनेताओं की निशानी होती है। मगर कार्य व्यवहार से अभी ऐसे संकेत नहीं मिल रहे।