प्रदीप शर्मा हरदा।
इस जमाने में अब दोस्त और दोस्ती की ढेर सारी बातें सब नकली हैं।
आज ये सारा दिखावा मतलब के अलावा और कुछ नहीं। वही दिखावटी चेहरे, झूठी मुस्कान व समय के साथ बदलती दुनिया के और क्या हैं मायनें। कभी सोचा है।
आज तक नहीं पता था मुझे मगर दुनियादारी में यह बड़ी सच्चाई है। आप चाहें कभी भी किसी के लिए, किसी भी संकट की घड़ी में खड़े हो जाएं, मगर जब आपका वक्त पड़ेगा तो शायद इनसे आपको मिलेगा वही टका सा जवाब। इसलिए अब न दोस्ती, न दिलदारी
बस सब दिखावे की दुनियादारी।
हां यदि कुछ खास है तो सोशल मीडिया के मित्रों की यारी शायद अधिक भली है, बस वे हों आपके अपने वैचारिक मित्र जिन्हें पाकर मैं खुश हूं।