February 17, 2025 |
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‘पराजय के सौ बहाने रेडी’ किताब की भारी डिमांड 😊

ईवीएम पर एससी में मुंह की खाई, फिर भी हताशा क्यों नहीं

Hriday Bhoomi 24

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प्रदीप शर्मा संपादक हृदयभूमि

  इस चुनावी मौसम में ‘अंट-शंट पब्लिकेशन हाॅउस’ से प्रकाशित लेखक ‘अनाप-शनाप’ द्वारा लिखित “पराजय के सौ बहाने रेडी” नामक किताब की भारी डिमांड है। कुछ बड़े दलों के नेता और उनके सलाहकार शायद यह किताब आनलाइन बुलाकर इसका गहन अध्ययन कर चुके हैं। और कुछ दलों के स्थानीय नेता अभी इसे बुकस्टाल पर ढूंढ रहे हैं।

 क्यों हताश नहीं नेताजी –

 यही वजह है कि हालिया लोकसभा चुनाव 2024 में अपनी हार सामने देखने के बावजूद भारतीय राजनीति में विपक्षी दल हताश नहीं है। क्योंकि इन दलों के विशेषज्ञ इसका अध्ययन कर अपने नेताओं को संतुष्ट करने की कला में पूरी तरह पारंगत हो चुके हैं।

बिल्ली के भाग्य से छींका टूटना-

   अभी-अभी ईवीएम के मसले पर सुप्रीम कोर्ट में मुंह की खाने के बाद विपक्ष जरा भी हताश नहीं हुआ। नेताओं ने कहा था कि हमारी जंग आगे भी जारी रहेगी। सो बिल्ली के भाग्य से छींका भी टूट गया। हुआ कुछ यूं कि चुनाव में पहले चरण की वोटिंग के 11 दिन बाद व दूसरे चरण की वोटिंग के 4 दिन बाद आयोग द्वारा अपनी वेबसाइट पर वोटिंग प्रतिशत का खुलासा किया। साथ ही इसमें आए 6% के उछाल से विपक्ष को नया बहाना मिल गया। 

गलती का होगा खुलासा –

      इसमें आयोग की गलती है, या प्रक्रिया में कोई कमी अथवा अन्य कोई कारण यह समय के साथ पता चलेगा। मगर एक बार फिर इन्हें आयोग को कठघरे में खड़ा करने का नया अध्याय मिल गया है।

असलियत क्या है –

 बहरहाल जानते हैं कि विपक्ष के आरोपों में कितना दम है। इतने दिन बाद वोटिंग प्रतिशत में बदलाव आना कोई गड़बड़ी है अथवा यह एक सामान्य प्रक्रिया का हिस्सा, या हार का यह नया बहाना इन दलों की रणनीति का कोई हिस्सा है।

ये पब्लिक है सब जानती –

   यूं भी सभी दल और नेता भलीभांति जानते हैं कि वोटिंग के ठीक बाद निर्वाचन विभाग द्वारा दलों के चुनाव एजेंट को एफ-17 फार्म दिया जाता है। जिसमें संबंधित बूथ पर कितनी वोटिंग हुई और प्रतिशत इत्यादि की जानकारी होती है। वहीं वोटिंग के बाद उनके सामने मशीन को सील कर स्ट्रांग रूम में रखा जाता है। जो गणना के समय ही खुलती है। इससे जाहिर है कि चुनाव और गणना में कहीं कोई गड़बड़ी की संभावना नहीं है। फिर जानने-बूझने के बावजूद ये बयानबाजी कैसी?

लेशन का असर –

  इन दलों के बयानों और नेताओं की बाॅडी- लैंग्वेज से हमें तो लगता है कि इनके पास “पराजय के सौ बहाने रेडी” नामक किताब पहुंच चुकी है जिसके हर लेशन का अनुसरण रोज किया जा रहा है।

  नोट : यदि यह किसी के पास नहीं पहुंची हो तो आनलाइन बुकिंग कराएं, ताकि यह पहले आओ पहले पाओ की नीति अनुसार सबको मिल सके।


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