विशेष रिपोर्ट
इटारसी। फिजूलखर्ची के बाद तंगहाली का शिकार नर्मदापुरम जिले की सबसे बड़ी नगर पालिकाओं में शुमार इटारसी का नगर निकाय द्वारा की गई अनियमितताओं की अनेक परतें दिन पर दिन खुलती जा रही हैं।
मगर इसके सिपहसलार इन गलतियों को सुधारने की अपेक्षा इससे बेफिक्र नजर आते हैं। नजूल विभाग से तमाम शर्तों के साथ निकाय को मिली एक ऐसी ही भूमि का उपयोग करने में नगर परिषद ने शर्तों का उल्लंघन करने में जरा भी संकोच नहीं किया। ऐसे गंभीर मामले में नर्मदापुरम कलेक्टर को हस्तक्षेप कर भूमि का अधिग्रहण वापस लिए जाने की आवश्यकता मेहसूस होती है। मगर राजनीति और प्रशासन में कब क्या हो जाए इसे समय के साथ बताने का दायित्व मीडिया जरूर निभाएगी।
क्या है मामला –
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार स्थानीय नगर पालिका परिषद को कुछ वर्षों पूर्व मिली एक भूमि का उपयोग तमाम शर्तों का उल्लंघन कर किया गया है। यहां मध्यप्रदेश शासन के नजूल विभाग की ओर से कलेक्टर होशंगाबाद द्वारा नगर पालिका परिषद इटारसी को गांधी स्टेडियम के पश्चिम दिशा में एक विशाल भूखंड पार्क के लिए अग्रिम अधिपत्य में दिया गया था। यहां शर्तों के अनुसार निकाय को भूमि का उपयोग पार्क के अलावा किसी अन्य कार्य में नहीं होना था। सूत्रों के अनुसार तत्कालीन सरकार की मौखिक सहमति से इस भूमि पर निकाय ने एक ऑडिटोरियम का निर्माण कर लिया था।
अब नगर पालिका इस ऑडिटोरियम का कमर्शियल उपयोग कर रही है जबकि अग्रिम आधिपत्य के आदेश में यह स्पष्ट शर्त थी कि यदि उपरोक्त भूमि का कमर्शियल उपयोग किया गया तो दी गई यह अनुमति स्वमेव निरस्त हो जाएगी। अनियमितता के ऐसे गंभीर मामले में नर्मदापुरम की नवागत कलेक्टर को तत्काल प्रभाव से हस्तक्षेप कर इसे विधिवत कराने की आवश्यकता मेहसूस की जाती है।