प्रदीप शर्मा संपादक हृदयभूमि
राम जन्मभूमि पर मंदिर के मुद्दे पर विश्व हिंदू परिषद के अध्यक्ष अशोक सिंहल द्वारा व्यापक आंदोलन किए जाने के बावजूद वह गति नहीं मिल पाई थी जिससे विराट हिंदू जनमानस में उत्साह और विश्वास आ सके। तब तक यह मसला भारतीय राजनीति में धर्म विशेष और आस्था का सवाल भर बना हुआ था।
ऐसी घड़ी में जब देश के अधिकांश मुस्लिमों की नाराजी के भय से राजनीतिक दल असमंजस का शिकार थे, तब सोमनाथ से अयोध्या तक रामरथ यात्रा निकालकर भाजपा नेता लालकृष्ण आडवाणी ने देश की राजनीति को नई दिशा ही दे डाली। यह राजनीतिक मुद्दा बनते ही पूरा देश वामपंथी और दक्षिणपंथी विचारधारा के दो धड़ों में बदल गया। इस दौरान केसरिया ब्रिगेड की कमान भाजपा के हाथों आने से इसे हिंदूवादी दल की पहचान मिली। इसे रामलला की महिमा ही कहें कि लोकसभा चुनाव में मात्र दो सीटें जीतने वाली भाजपा के मत प्रतिशत में इस कदर उछाल आया कि यह लोकसभा में दूसरी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी।
कालांतर में अकेली भाजपा ऐसी पार्टी बनी जिसने इस मुद्दे को खुले तौर पर अपने घोषणापत्र में शामिल कर अपना राजनीतिक संकल्प बना लिया। तत्कालीन भाजपा की राजनीति में अटल बिहारी वाजपेयी के साथ लालकृष्ण आडवाणी ऐसे नेता थे जिन्होंने पार्टी को तमाम ऊंचाईयां प्रदान कर इसे देश के प्रमुख दल के रूप में स्थापित कर दिया। किसी दल को फर्श से अर्श तक लाने और राम मंदिर मुद्दे को सामाजिक आंदोलन से राजनीतिक संकल्प तक लाकर विराट जनमानस में ऊर्जा भरने का जो काम श्री आडवाणी ने किया है वह स्वर्णाक्षरों में लिखा जाएगा।
बहरहाल संघर्ष उन दिनों में साथ रहे उनके शिष्य और वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा के ठीक बाद उन्हें भारतरत्न का सम्मान देकर वह कर्ज उतार दिया है जो सभी गुरूओं का अपने शिष्यों पर हमेशा बाकी रहता है।
श्री आडवाणी को देश का यह सबसे बड़ा सम्मान मिलने के बाद यूं भी कतिपय राजनीतिक दलों को कोई टीका-टिप्पणी करने का अधिकार नहीं है क्योंकि वर्तमान केंद्र सरकार ने इसके पूर्व कांग्रेस पृष्ठभूमि के प्रणव मुखर्जी और समाजवादी पृष्ठभूमि के नेता कर्पुरी ठाकुर को यह सम्मान देकर बता दिया है कि देश के इस सबसे बड़े सम्मान को देने में मोदी सरकार ने कोई राजनीतिक पूर्वाग्रह नहीं बरता है।
बहरहाल संतोषजनक बात यह भी है कि देश की दूसरी सबसे बड़ी पार्टी कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने आडवाणी को मिले इस सम्मान का स्वागत कर भारत रत्न की गरिमा को बनाए रखने में अनुकरणीय योगदान किया है।