मेहरबान, कदरदान, साहबान!
दिल थाम कर बैठिए, इस जादू के पिटारे से आ रहा है वो दिलकश नजारा जिसका सभी को है बेसब्री से इंतजार।
- ईना-मीना डीका, तेरी गलियों में झींका। मगर कोई रिजल्ट नहीं मिला। एक बार स्कूल में मिला था तो पिताश्री के थप्पड़ चेहरा लाल हो गया था।
- -हां साॅरी, अपन बात कर रहे थे उस जादू की जिसको लेकर सब दिल थामकर बैठे है। मगर ये कहां की बात ले बैठे। छोड़िए इसे
- तो मित्रों सारा नजारा देखने को तैयार तो हैं न मेरे साथ। वरना बाद में कहने लगें कि जादूगर ने हमारी आंखें बंद कर दी थी।
- तो शुरू होता है खेल एक दूसरे को भूलने-भुलाने का। याद आया कुछ …! चलिए कुछ देर आंखें बंद रखिए फिर हो जाएगा पूरा खेल।
- बोल जमूरे क्या हुआ?
- कुछ नहीं उस्ताद !
- फिर तू आज उदास क्यों है। क्या तुझे पता नहीं कि तेरा उस्ताद सब खेल कर सकता है।
- है, मेरे उस्ताद मगर… मगर वो मेरी उंगली ठीक से नहीं चली थी।
- तेरा क्या मतलब है ठीक से बता..
- कुछ नहीं उस्ताद वो मेरी वो कहां गई जब मैने उंगली दिखाई थी।
- ओफ्फोह तो तू इस जादू के पिटारे को भूलकर उस एवीएम की बात कर रहा है। जो साइंस टेक्नोलॉजी की बात है। तो तू जमूरा ही रहेगा, तू जहां भी उंगली दिखाएगा ये वही बताएगी। बस तेरा नाम सामने नहीं आएगा। चल फटाफट दूसरा जमूरा लेकर आ मुझे तेरे उस उवीएम की बात नहीं करना। मैं तो आया था लोगों के दिमाग की नजरबंदी करने तू मुझे मशीन का पहाड़ा सिखाने चला।
- तो साहिबान मेरे चुनाव में आप जीत जाएं तो ये मशीन अच्छी है। फिर भी यदि किसी को न सुहाए तो बुरी है।
- नोट :: इस कहानी का चुनाव और ईवीएम मशीन से कोई नाता नहीं है। यह उन लोगों पर कटाक्ष है जो व्यवस्था का मजाक बनाते हैं।
- याद रखें यह स्वरचित है कुछ हंसने-मुस्कुराने के लिए, इसे कोई भी कॉपीपेस्ट न करे, मैं तो अपना भोग लूंगा, दूसरा फोकट में पिट जाएगा।