प्रदीप शर्मा संपादक
गत 22 जनवरी 2024 को देश भर में मने रामोत्सव को सांप्रदायिक और राजनीतिक बताने के कुत्सित प्रयास शुरू हो गए हैं। इससे सभी धर्मप्रेमी जनता को सावधान रहने की जरूरत है। इस उत्सव के ठीक बाद मुझे अंग्रेजी में मिले एक पत्र का ही हवाला दूं तो सभी सुधीजनों को इससे सतर्क रहने की जरूरत है।
मित्रों वैसे अयोध्या में राम को आना ही था, फिर चाहे त्रेतायुग में 14 वर्ष का वनवास हो या कलियुग में सदियों से चली आ रही अस्मिता की जंग। वे शांतिपूर्ण ढंग से सारी बाधाएं पारकर वापस अयोध्या आ गए। जब राम आए हैं तो रामराज भी आएगा, इसलिए निश्चिंत रहें।
रामलला के प्राण प्रतिष्ठा समारोह में यदि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संबोधन को ध्यान से सुना जाए तो उन्होंने साफ कहा – “हमारे राम आ गए हैं। और विश्ववसुधैव कुटुंबकं का सबको संदेश भी दे दिया है।” मगर देश में कुछ स्वयंभू विद्वान जनता के नाम अंग्रेजी में एक पत्र जारी कर बता रहे हैं कि हमारी भारतीय परंपरा दुनिया के तमाम धर्मावलंबियों को शरण देकर साथ रहने की है।
इस राम महोत्सव को दल विशेष का बताने वाले कभी यह खुलासा नहीं करते कि वो कौन लोग थे जो राम और रामसेतु को काल्पनिक बताकर इसे खारिज कर रहे थे। अमेरिकी एजेंसी ‘नासा’ को धन्यवाद कि इसने अपने चित्रों को समय पर जारी कर इसे मानव निर्मित बताकर टूटने से बचा लिया। इस विराट महोत्सव का विरोध करने वाले कुछ लोग वे भी थे जिनके पूर्वजों ने रामभक्तों पर गोली चलवाकर अनेक जान ले ली। आज उन्हें रामलला के प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में न बुलाने का बड़ा दर्द है।
ध्यान रहे कि 22 जनवरी 2024 के ऐतिहासिक दिवस देश भर में जो उत्सव मना उससे दिवाली की आभा छोटी नजर आने लगी। इस बार संपूर्ण आर्यावृत में सुबह 6 बजे से रात्रि 12 बजे तक खुशियों का ऐसा विराट उत्सव मना कि पूरे दिन ही दिवाली मन गई। इससे अपनी स्थिति का अहसास पाकर कुछ राजनीतिक दल, संगठन और नेता इसके औचित्य पर सवालिया निशान लगाकर अपने स्वार्थ की बग्गी दौड़ाने लगे। मगर मंदिर के विरोधी ये विलेन यदि वहां बुलाए भी जाते तो वे भला कौन सा मुंह लेकर आते। फिर भी रामतीर्थ ट्रस्ट ने तो उन्हें निमंत्रण भेजा ही था। इसलिए ऐसे अंग्रेजीदां लोगों की चिट्ठीपत्री से सावधान!
हमारे ग्रंथों ने पहले ही *विश्व वसुधैव कुटुंबकं* की बात कही है।