December 7, 2025 |

#गणित की उत्पत्ति : मोहतरमा बताने लगी इसका स्रोत

बात मो. शमी से शुरू होकर अब कहां तक जाएगी

Hriday Bhoomi 24

प्रदीप शर्मा संपादक। 

कांग्रेस की एक नेत्री मोहतरमा शमा मैडम ने बयानों का क्रिकेट खेलते हुए अपने बयान  भारतीय क्रिकेट टीम के खिलाड़ी मो. शमी से शुरू कर, अब इसे एक नई इबारत तक ले जाने की कोशिशें शुरू कर दी हैं। उनका जो भी मकसद हो वह वे ही जानें मगर उनके नए विचारों पर सवाल तो होंगे ही। हम शमी साहब (क्रिकेट टीम इंडिया के गौरव) से क्षमा याचना सहित कतिपय इन बयानों पर अपनी राय साफ-साफ बता रहे हैं। 

-पहली बात तो यह कि उन्होंने अभी-अभी  गणित और इस्लाम को जोड़ने का जो ज्ञान दिया है उसका हमारी भारतीय क्रिकेट टीम के खिलाड़ी मो. शमी से कोई नाता नहीं है। मगर मैडम के बयानों से देश और दुनिया में भ्रम न फैले यही मेरी गुजारिश है। 

-सबसे पहले उन्होंने चैंपियन ट्राफी में लगातार जीत रही भारतीय क्रिकेट टीम में अपने विचारों का कलुष घोलकर इसे धार्मिक आधार पर जोड़ने की कोशिशें की। जब उनकी पार्टी ने इससे पल्ला झाड़ा और बात उल्टी पड़ गई तो मोहतरमा ने बयान में सुधार करने का जतन भी किया है। 

-यूं भी भारतीय संविधान में अभिव्यक्ति की आजादी का अधिकार है तो स्वयंभू ज्ञानियों को बोलने के लिए पूरी-पूरी स्वतंत्रता है। 

अब इन चर्चाओं में आई मोहतरमा ने इस्लाम और गणित को जोड़कर नया किस्सा बयां करने की कोशिशें शुरू की हैं। हो सकता है उनके पास ऐसे कतिपय दस्तावेज, प्रमाण, माइल स्टोन, मूर्ति प्रतिमा और अन्य साक्ष्य हों। मगर  ईसा से पहले इस्लाम के होने का इतिहास मैडम को बताना चाहिए कि गणित का सिरा (सूरा) तब कहां था। कम से कम मोहतरमा अपने गूगल गुरू से ही कुछ पूछ लें। 

गणित संभव नहीं, बिना शून्य – 

जब तक गणित में शून्य और आर्यभट्ट का दश्मवल नहीं आया था, तब तक आधुनिक गणितीय गणना की परिकल्पना करना भी संभव नहीं था। इसलिए मोहतरमा को एक बार फिर शोध करना चाहिए, ध्यान रहे तमाम शोध की पुष्टि किताबों से नहीं ऐतिहासिक चिन्हों और प्रमाणों से होती है। 

इसे भी देखें भद्रजन-

: शून्य की खोज भारत में हुई थी. शून्य को भारत का एक अहम आविष्कार माना जाता है. शून्य की जानकारी कई जगहों पर मिलती है, जैसे बख्शाली पांडुलिपि, ग्वालियर के मंदिर की दीवार और ब्रह्मगुप्त की किताब.

-शून्य की अवधारणा का आविष्कार भारत में पांचवीं शताब्दी में हुआ था. 

-शून्य का सबसे पहला रिकॉर्ड किया गया इस्तेमाल भारतीय गणितज्ञ ब्रह्मगुप्त के काम में 9वीं शताब्दी में मिलता है. 
-ब्रह्मगुप्त ने शून्य को एक संख्या के रूप में वर्णित किया और शून्य से जुड़े अंकगणितीय संचालन, जैसे जोड़, घटाव और गुणा के लिए नियम बनाए. 
-शून्य का इस्तेमाल करने के लिए सबसे पहले ज्ञात तरीकों का विकास ब्रह्मगुप्त ने किया. 
-शून्य को संख्याओं के नीचे दिए गए एक डॉट के रूप में दर्शाया जाता है.
-शून्य को कंप्यूटर का मूल आधार भी माना जाता है.
-शून्य का इस्तेमाल करके जटिल समीकरणों को सुलझाने में और गणना करने में मदद मिलती है.शून्य के बारे में जानकारी ग्वालियर में एक मंदिर की दीवार पर भी मिली है. 

Hriday Bhoomi 24

हमारी एंड्राइड न्यूज़ एप्प डाउनलोड करें

Get real time updates directly on you device, subscribe now.

Leave A Reply

Your email address will not be published.

Verified by MonsterInsights