प्रदीप शर्मा संपादक हृदयभूमि
बस यही रात अंतिम और यही रात भारी। जीवन में हर इंसान कुछ न कुछ बड़े फैसले लेता है। इनका परिणाम भी कुछ अच्छा या बुरा भी होता है। ऐसे फैसलों को लेना किसी सामान्य व्यक्ति की बात नहीं। बस उसी घड़ी में याद आता है गीत-
“यही रात अंतिम और यही रात भारी”