#अनोखी शख्सियत हैं चित्रकूट पीठ के मठाधीश जगतगुरू रामभद्राचार्य जी
भारत सरकार ने भी उन्हें पद्मविभूषण से सम्मानित किया

प्रदीप शर्मा संपादक।
आप सभी ने साधु-संतों और महात्माओं की खूब कहानियां सुनी और पढ़ी होंगी। मगर उन्हें न तो देखा और जाना होगा और यह सब कपोल-कल्पनाओं की तरह मनोस्मृति से विलुप्त भी हो गये होंगे। मगर वर्तमान युग में भी ऐसे महान संत हमारे देश में हैं, जिनके ज्ञान को दुनियाभर सराहती है।

कौन हैं स्वामी रामभद्राचार्य जी-
“चित्रकूट के घाट पर हुई संतन की भीड़” वाली चौपाई तो सभी सनातन धर्मप्रेमियों ने सुनी होगी। यहीं बनी पीठ के शिरोधार्य एवं जगतगुरू स्वामी रामभद्राचार्य जन्म से ही दृष्टिहीन हैं। उन्होंने कभी भी किसी स्कूल-कालेज से जरा भी ज्ञान प्राप्त नहीं किया। मगर ये वो शख्सियत हैं जिनके ज्ञान से रामजन्मभूमि और बावरी मस्जिद का विवाद सुलझाने में देश की बड़ी अदालत को जरा भी देर न लगी।
बिन दृष्टि के ज्ञान-
आपको यहां बता दें कि जब देश की सर्वोच्च अदालत में रामजन्मभूमि और बावरी मस्जिद की भूमि संबंधी वाद चल रहा था। तब मुख्य गवाह के रूप में प्रस्तुत स्वामी रामभद्राचार्य की मेघा से जज भी प्रभावित हुए। जो जानकारियां हैं उसके अनुसार उन्होंने स्वामी जी से पूछा कि आपके ज्ञान अनुसार यह भूमि कहां किस अक्षांश और देशांस पर कितने वर्गकिलोमीटर में है।
इसे स्वामी जी ने बखान कर बता दिया कि किस भूमि में रामजन्म हुआ और मंदिर की भूमि कहां व कितने क्षेत्र में है। जब इसकी जांच कराई तो स्वामी जी की जानकारी और तमाम खगोल वैज्ञानिकों की रिपोर्ट में कोई फर्क नहीं मिला।
अथाह ज्ञान के समुद्र –
स्वामी रामभद्राचार्य जी अथाह ज्ञान के समुद्र हैं। हाल ही में भारत सरकार ने भी उन्हें पद्मविभूषण से सम्मानित किया है।
थलसेना अध्यक्ष ने किया सम्मान –
थल सेनाध्यक्ष चित्रकूट उपेंद्र द्विवेदी ने सपत्नीक गत दिवस चित्रकूट के कांच मंदिर तुलसी पीठ पहुंचकर पद्म विभूषण जगद्गुरु गुरुरामभद्राचार्य से भेंटकर दिव्यांग छात्राओं के लिए गिफ्ट सामग्री प्रदान की। पद्म विभूषण जगतगुरु रामभद्राचार्य को सेवा की तरफ से स्मृति चिन्ह प्रदान करते हुए सब पत्नी कांच मंदिर में पूजा अर्चना की है।
