बैरागढ़ में ये कैसी समानता : कैसे कांप उठी थी धरती 40 किमी
बारूद की अनुमति और जांच की जहमियत किनने उठाई थी
प्रदीप शर्मा संपादक हृदयभूमि हरदा।
6 फरवरी 2024 की वह मनहूस तारीख याद है जब फटाका फैक्ट्री में महाविस्फोट से हरदा की धरती 40 किलोमीटर तक कांप उठी थी। कभी किसी ने सोचा कि मगरधा रोड पर ग्राम बैरागढ़ समीप फटाका फैक्ट्री में विस्फोट से कितनी बड़ी आबादी के लोग प्रभावित हुए होंगे। और यह भी नहीं कि इसमें कार्यरत कितने मजदूरों और आसपास के लोगों की जान गई होगी/ या कितने घायल हुए होंगे। शायद यह भी किसी ने याद नहीं किया।
– इस घटना के ढाई माह बाद भी मीडिया को इसके आंकड़े बताने को कोई तैयार नहीं है। हां आनन-फानन में श्रम विभाग के एक अधिकारी पर कार्रवाई कर मामला दफन कर दिया।
जांच में तरीका एक जैसा
– कुछ ऐसा ही बड़ा मानवीय हादसा आज से लगभग 3 दशक पूर्व भोपाल के बैरागढ़ समीप हुआ था। जब एक विदेशी मल्टीनेशनल कंपनी यूनियन कार्बाइड के कारखाने में अवैध भंडारण से ‘मिक’ गैस का खौफनाक रिसाव हुआ था।
– कालांतर में बताया कि यह मिक गैस ‘मिथाइल आइसो साइनाइड’ का मिश्रण था। फिर जांच में यह भी कह दिया कि ये मानवीय त्रुटि का कमाल था, और यह भी कि वहां क्षमता से अधिक भंडारण था। यहां हम ऐसी कोई बात नहीं कर रहे कि भोपाल के बैरागढ़ और हरदा के बैरागढ़ में कोई समानता है। क्योंकि वह विदेशी कंपनी थी और यहां देशी मामला है।
– फिर भी दोनों में समानता की कुछ ऐसी ही बातें सामने आ रही हैं कि बैरागढ़ फटाका फैक्ट्री में क्षमता से अधिक बारूद का भंडारण होता रहा। वहीं बैरागढ़ भोपाल की विदेशी कंपनी में भी यही हुआ। और किसी को भी इसके आवक-जावक का हिसाब नहीं पता।
– हरदा जिले में तब फर्जी नाम से आए कुछ बारूद पकड़ में आए भी, किन्तु मामला ऊपर ही रफा-दफा हो गया।
*तो सवाल उठेंगे ही –
1 : राजू और सोमेश अग्रवाल की फटाका फैक्ट्री को कितने बारूद भंडार की अनुमति थी।
2 : मौके पर मुआयना दौरान यहां किन अन्य नामों से लाकर अधिक भंडारण कर रखा था।
3 : यहां जांच कितने बार हुई/ या होती भी नहीं थी।
4 : बाहर से बारूद ट्रेन या अन्य वाहनों से आने वाले बारूद की कितनी खेप पकड़ी। मीडिया को इसका कब-कब खुलासा किया।
इन सवालों से शंका तो होती है कि क्या अन्य अधिकारी भी अपने कर्तव्यों के प्रति लापरवाह नहीं थे।