हृदयभूमि हरदा।
गत दिवस भाजपा के वृहद कार्यकर्ता सम्मेलन दौरान कांग्रेस की राजनीति में अचानक बड़ा उलटफेर हो गया। एकाएक वरिष्ठ कांग्रेस नेता एवं प्रदेश सचिव प्रकाश चंद्र वशिष्ठ गुरू ने अपने विश्वस्त 40 साथियों सहित 100 से अधिक कार्यकर्ताओं के संग भाजपा की सदस्यता लेकर कांग्रेस खेमे में हलचल मचा दी। फिर भी कतिपय हल्कों में यह सवाल बना हुआ है कि कौन हैं प्रकाश चंद्र वशिष्ठ गुरू। तो इस रिपोर्ट में जानिए कि हरदा नगर की मैदानी राजनीति में उनका और उनके साथियों का कितना अहम स्थान है।
प्रकाश गुरू : सिर्फ नाम ही काफी है
हरदा कांग्रेस की राजनीति में प्रकाश चंद्र वशिष्ठ गुरू का जिक्र करने के पूर्व यहां उनके प्रेरणास्रोत पूर्व प्रदेश कांग्रेस कोषाध्यक्ष एवं अखिल भारतीय कांग्रेस सदस्य स्व. एकनाथ जी अग्रवाल का स्मरण करना आवश्यक है, जिनके खास सिपहसलारों में गुरू का नाम खास तौर पर लिया जाता है। दैव-दुर्योग से अचानक एकनाथ जी के आकस्मिक निधन से उनके साथियों को संबल देकर एकसाथ रखने का काम प्रकाश गुरू ने बखूबी संभाला और उनके सबसे बड़े संरक्षक के रूप में सामने आए।
प्रकाश गुरू राजनीति में आने के पूर्व शिक्षा विभाग में रहकर कर्मचारी वर्ग की आवाज बने रहे। उन्होंने कांग्रेस के कर्मचारी संगठन के बैनर तले उनकी समस्याओं को सदैव उठाया और न्याय दिलाने में कामयाब रहे। शासकीय सेवा से मुक्ति बाद और एकनाथ जी अग्रवाल के निधन पश्चात उन्होंने उनकी राजनीतिक विरासत को संभालकर साथियों के हितों का खूब ध्यान रखा। चुनावी राजनीति के दौर में वशिष्ठ को सदैव याद किया जाता रहा है। आज उनके राजनीतिक और सोशल किरदार को देखते हुए नगर की राजनीति में गुरू को राजनीतिक चाणक्य जैसी उपाधि दी जाती है।