May 15, 2025 |
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क्या हरदा जिले में मिलेगा हरसूद और भैंसदेही

हरदा-बैतूल संभाग का होगा नया सीमांकन भविष्य के गर्भ में

Hriday Bhoomi 24

हृदयभूमि स्पेशल

हर दस साल में बढ़ती आबादी के पश्चात लोकसभा, विधानसभा सहित अनेक क्षेत्रों और जिलों की सीमाएं निर्धारित की जाती हैं। यह प्रक्रिया निरंतर जारी रहती है। यदि आबादी की वृद्धि को देखा जाए तो हरदा के कुछ पड़ौसी जिलों के हिस्से यहां मिलाए जा सकते हैं। यदि ऐसा हुआ तो आने वाले वर्षों में हरदा जिले और हरदा-बैतूल संभाग की राजनीतिक दिशा में आमूलचूल परिवर्तन हो जाएगा।
*सीमांकन का क्या है अनुमान*

इस बारे में चल रही गणनाओं और अनुमानों पर यदि भरोसा किया जाए तो राजनीतिक दृष्टि से हरदा जिला विशेष तौर पर प्रभावित होगा। जो जानकारी बताई रही हैं उसके अनुसार सीमांकन संबंधी पायलट प्रोजेक्ट ने अभी इंदौर संभाग में कार्य प्रारंभ किया है।

सूत्रों का कहना है कि प्रोजेक्ट के पूरे कार्य दौरान सभी इलाकों खासकर जिलों विधानसभा और लोकसभा के क्षेत्र अभी विशेष तौर पर प्रभावित हो सकते हैं। यदि ऐसा हुआ तो इसका हरदा जिले की राजनीति पर ठीक वैसा असर पड़ेगा जैसा कुछ साल पहले टिमरनी पर हुआ था। ऐसा बताया जा रहा है कि सही गणना होने के बाद यह पूरा हरदा जिला आदिवासी बहुल घोषित किया जा सकता है।

*सीमा परिवर्तन का क्या है गणित*
सूत्रों का कहना है कि अभी पायलेट प्रोजेक्ट में इंदौर को लिया गया है। इसकी रिपोर्ट के बाद अन्य जिलों में कार्य शुरू किया जाएगा। इसमें बताते हैं कि नए सीमांकन के चलते खंडवा जिले के  हरसूद और भैंसदेही क्षेत्र अब हरदा ज़िले में लाए जा सकते हैं। यदि ऐसा हुआ तो हरदा आदिवासी बहुल बन जाएगा। इस स्थिति में आने वाले समय में यहां की तीन सीट आदिवासी और जिला मुख्यालय की सीट  अनुसूचित जाति वर्ग की हो कर जिले की सांसद सीट बैतूल-हरदा आदिवासी के पक्ष में चली जाएगी।

बहरहाल अभी यह केवल अनुमान भर है। आने वाले समय में क्या होगा यह समय के गर्भ में है।


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