प्रदीप शर्मा संपादक
हरदा की लगातार विधायकी से लेकर प्रदेश सरकार में कैबिनेट मंत्री रहने वाले भाजपा नेता कमल पटेल चाहे 2023 का विधानसभा चुनाव हार गए हों, मगर मात्र 870 मतों की हार से उनका राजनीतिक कद कम नहीं हुआ है। श्री पटेल बीते ढाई-तीन दशकों से भाजपा में रहकर संगठन के विभिन्न पदों पर रह अपने नेतृत्व का लोहा मनवा चुके हैं। हालिया चुनाव सहित इस हार के बावजूद कमल पटेल आज भी राजनीति में एक जाना-पहचाना नाम है। जिले की राजनीति के जानकार उस पक्षी फिनिक्स के रूप में याद करते हैं जो जलने के बाद फिर जिंदा होकर उड़ जाता है।
आज से तीन वर्ष पूर्व जब देश में किसान आंदोलन ने नईदिल्ली का आवागमन एकतरफा बंद कर दिया था। और इसकी हवा बहकर अन्य राज्यों में भी जाने का खतरा मंडरा गया था। तब सीएम आदित्यनाथ योगी ने नोयडा के पार यूपी तथा मध्यप्रदेश में भाजपा सरकार के कृषिमंत्री कमल पटेल ने यह हवा अपने प्रदेश में नहीं आने दी। हाल ही फिर शुरू हुए किसान आंदोलन बाद ऐसे ही रणनीतिकारों की जरूरत मेहसूस की जा रही है।
राजनीतिक सूत्रों का कहना है कि पटेल जैसे कद्दावर नेता को भाजपा हाईकमान द्वारा केंद्र में लाने की कोशिश की जा सकती हैं। इसके तहत आगामी मार्च-अप्रैल में होने वाले लोकसभा चुनाव में सामने लाया जा सकता है। ऐसा बताते हैं कि उन्हें देवास- खातेगांव बेल्ट अथवा होशंगाबाद-नरसिंहपुर लोकसभा सीट से आजमाया जा सकता है।
संभावनाएं बहुत हद तक होशंगाबाद की मानी जा रही है, क्योंकि यहां के राव उदित प्रताप सिंह को भाजपा ने विधानसभा चुनाव लड़ाकर उन्हें प्रदेश सरकार में मंत्री बना दिया है। ऐसी स्थिति में होशंगाबाद कीखाली लोकसभा सीट पर किसी कद्दावर नेता को लाने की दरकार है। यदि समीकरण सभी ठीक-ठाक रहे तो आने वाले दिनों में हरदा के नेता कमल पटेल को केंद्रीय राजनीति में लाने उन्हें इस लोकसभा सीट पर चुनाव लड़ाया जा सकता है। फिलहाल यह अभी समय के गर्भ में है। देखना है कि राजनीति में नित नए पत्ते खोलकर चौंकाने वाली भाजपा आगे कौन सा ट्रंपकार्ड पेश कर विपक्षी दल को हैरानी में डाल दे।