
नईदिल्ली। सिंधु जल संधि पर हेग स्थित स्थायी मध्यस्थता न्यायालय के फैसले को भारत सरकार ने खारिज कर दिया है। विदेश मंत्रालय ने इसे अवैध और गैर-बाध्यकारी करार दिया। मंत्रालय ने कहा कि यह 1960 की सिंधु जल संधि का उल्लंघन करता है इसे भारत ने कभी मान्यता नहीं दी। यह फैसला जम्मू-कश्मीर में किशनगंगा और रतले जलविद्युत परियोजनाओं पर पाकिस्तान की आपत्तियों से संबंधित था। भारत का कहना है कि ये परियोजनाएं संधि के अनुरूप ‘रन-ऑफ-द-रिवर’ तकनीक पर आधारित हैं। भारत ने 22 अप्रैल 2025 को पहलगाम आतंकी हमले के बाद संधि को निलंबित कर दिया था, जिसमें 26 लोग मारे गए थे। भारत सरकार का रुख साफ है कि जब तक पाकिस्तान सीमा पार आतंकवाद को पूरी तरह बंद नहीं करता, वह संधि के दायित्वों को नहीं मानेगा।
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