November 13, 2025 |

#हरदा हो या बनासकाठा : बारूद के खेल में साबुत बचा न कोय

फिर वही बात है, गरीबी तेरा कोई इलाज नहीं है

Hriday Bhoomi 24

*प्रदीप शर्मा, संपादक*

गत वर्ष हरदा में हुए भीषण फटाका फैक्ट्री ब्लास्ट की तरह गुजरात के बनासकाठा से एक और दर्दनाक खबर सामने आई है। जिसमें कुछ निर्दोष लोग बारूद की आग में झुलसकर मौत का शिकार हुए। इसमें हरदा जिले के 24 और देवास जिले के 9 श्रमिक परिवारों के प्रभावित होने की सूचना है। हरदा जिले की बात करें तो 4 घायल और 20 मृतक हैं (यह भी अपुष्ट)। इनमें से दो मृतकों की बाडी नहीं मिली है।

अब होगा क्या – 
-बहरहाल अब होगा क्या, इन मृतकों की लाश पर राजनीतिक टेसू बहाए जाएंगे। हरदा मध्यप्रदेश के बाद बनासकाठा गुजरात भी भाजपा शासित राज्य होने से विपक्षी दलों को मृतकों की चिता पर रोटी सेंकने का मौका मिल जाएगा। मगर समस्या का समूल निराकरण करने के लिए कहीं कोई पहल नहीं होगी।

समस्या की वजह-

-दरअसल समस्या का मूल कारण है बारूद, और इसके खेल में कोई भी साबुत नहीं बचा। संभव है कि बनासकाठा में भी फैक्ट्री मालिक किसी तरह गायब होकर मामला शांत होते-होते ठीक राजू अग्रवाल की तरह सामने आकर सरेंडर कर दे। और तमाम कानूनी प्रक्रियाओं का सामना करे।

विधि की विडंबना – 
-मगर उसमें भी क्या व्यवस्था परिवर्तन हो पाएगा। वह भी कुछ साल जेल की सजा काट लेगा, मगर तब तक देश में और भी अनेक ‘राज अग्रवाल’ (काल्पनिक) खड़े हो जाएंगे। जहां हो सकता है बड़ी मशीनें फटाका बनाने लगें और गरीब श्रमिकों के हाथ से यह काम भी छूट जाए।
-इसलिए वर्तमान हालातों में दोषियों को दंड देने व पीड़ित परिवारों को लाभ देने जो भी काम चल रहे हैं। वह होने दिया जाए।

दृड़ संकल्प की जरूरत – 

  • -मगर अंत में इस समस्या की जड़, बारूद को ही हमेशा के लिए खत्म किया जाए। सुना है इसी बारूद सामग्री के बहाने नकली प्रपत्रों से सामान लाकर देश मेंं अवैध विस्फोटक बनाने तथा आतंकी गतिविधियों का काम भी चलता रहता है। यदि ये वैध कारोबार ही खत्म हो जाए तो भविष्य में अवैध विस्फोटक बनाने का काम भी खत्म हो जाए।
    -रही बात कुछ लोगों के बेरोजगार होने की तो सरकार उन्हें किसी न किसी रोजगार से लगाने में सक्षम है।

Hriday Bhoomi 24

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