संपादक हृदयभूमि,
सनातन धर्म की पहली शिक्षा यही है – वेदों में लिखा गया पहला श्लोक –
विश्व वसुधैव कुटुंबकं
इसे समझने में इंसान भटक रहा है। कभी सोचना कि ये सारे परमाणु बम के कारखाने एक साथ खुल जाएंगे। तब सृष्टि पर क्या एक जीव भी बचेगा। इसे कायरता न माने बस मानव जाति कभी बचेगी।
कभी सोचना कि ये सारे परमाणु बम के कारखाने एक साथ खुल जाएंगे। तब सृष्टि पर क्या एक जीव भी बचेगा। इसे कायरता न माने बस मानव प्रजाति को आगे भी जिंदा रहने दें।
– यह दया भाव नहीं, बल्कि सिर्फ उस प्रजाति को बचाने की कवायद है,
जिसने दुनिया और सृष्टि के हर रहस्यों को जाना।
उसने इस सृष्टि और सृष्टा को बचाया।
विश्व वसुधैव कुटुंबकं
