मोदी हटाओ में गजब खेल, अंबानी और अडानी का विरोध
नतीजन नई विदेशी कंपनियों को 'ईस्ट इंडिया कंपनी' के रूप में न्यौता देना
प्रदीप शर्मा संपादक
देश की राजनीति में चल रहे कथित ‘मोदी हटाओ’ आंदोलन के लिए एक गजब खेल चल रहा है। इसमें किसी भी प्रकार सोशल मीडिया, या राजनीतिक स्तर पर भ्रामक जानकारी देकर स्वदेशी कंपनियों का विरोध करना सबसे अहम है।
बीते कुछ समय से देश के कुछ बड़े औद्योगिक घरानों का विरोध कर मोदी सरकार को बदनाम करने की साजिश चल रही है। इसमें खैरियत की बात इतनी है कि जमशेद जी टाटा की कंपनियों को छोड़कर अंबानी और अडानी जैसे बड़े उद्योग समूहों का विरोध कर कुछ दल भारतवर्ष की अर्थव्यवस्था का भट्टा बैठाने की पुरजोर कोशिश में हैं।
क्या होगा नतीजा-
यदि इनकी कोशिशें कामयाब हुई तो नतीजा यह होगा कि इन बड़ी स्वदेशी कंपनियों को अपना साजो-सामान समेटकर विदेश भागना पड़ेगा (हालांकि ऐसा होगा नहीं)। यह भी याद दिला दें कि देश का भ्रमण कर यहां आए बड़े विदेशी राजनेताओं ने कोरोना काल में बिगड़ी उनकी अर्थव्यवस्था सुधारने के लिए अडानी और अंबानी कंपनियों को न्यौता देकर अनेक सहूलियतें देने का आफर दिया था। यह बात देश के बुद्धिजीवियों से छिपी नहीं है।अलबत्ता यह आलग बात है कि इन कंपनियों ने यहां कारोबार जारी रख कोरोना काल में भारत सरकार को अहम मदद भी दी।
फिर आएंगी विदेशी कंपनियां –
यदि इनकी साजिश कामयाब हुई तो ये बड़ी कंपनियां अपना कारोबार समेटकर विदेश मेंभी काम जमाकर वहां की अर्थव्यवस्था का संबल बन जाएंगी। मगर इससे हमारे लाखों श्रमिकों के हाथ से काम छूट जाएगा। यह भी होगा कि यहां आने वाली नई कंपनियां दोहन कर उनका और उनके देश की अर्थव्यवस्था मजबूत करेंगी। ये विदेशी कंपनियां हमारे देशवासियों का मानसिक बदलाव कर “ईस्ट इंडिया कंपनी” की तरह मानसिक गुलाम भी बना लेंगी।
नतीजे तो और गंभीर होंगे –
इसका सबसे बड़ा नतीजा यह यह होगा कि होगा कि स्वदेशी रोजगार चौपट होगा, इन पर सरकार दबाव न होने से किसानों की उपज का मनमाने भाव पर दोहन होगा, कंपनियों में बड़े पदों पर भारतीय नहीं होंगे और सस्ते दाम पर यहां के मानव श्रम का उपयोग होगा। इसलिए जरूरी है कि पश्चिमी देशों के इशारे पर मीडिया और सोशल मीडिया में चलने वाले ऐसे षड्यंत्रों से हम सावधान रहें। क्योंकि अब यदि यह देश फिर मानसिक और आर्थिक गुलामी की जंजीरों में बंध गया तो दूसरा सुभाष चंद्र बोस,भगत सिंह व चंद्रशेखर आजाद नहीं आएंगे।