#BYCOTT TURKEY : किस तरह आप भी बनें इस मिशन का हिस्सा
जिस मुल्क की भारत सरकार ने मदद की, वही दुश्मन देश का मददगार बना
प्रदीप शर्मा संपादक।
बीते दिनों जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत सरकार द्वारा चलाए गए आपरेशन सिंदूर में वायुसेना ने अदभुत कौशल दिखाकर आतंकियों के पनाहगार मुल्क को बड़ा सबक सिखाया था। इसमें आबादी क्षेत्र और सैन्य स्थानों को छोड़कर 9 विभिन्न स्थानों पर चलने वाले आतंकी ठिकानों पर कार्रवाई कर इन्हें नष्ट किया गया।
मगर टर्की नामक देश ने खलीफा बनने की चाहत में भारत के दुश्मन देश को हथियारों और ड्रोन की मदद कर हमारी सेना की मुश्किलें बढ़ाने वाला पाप किया। यह वही देश है जिसे कोविड:19 के काल में भारत सरकार ने दवा इत्यादि की मदद की थी। पड़ौसी मुल्क के साथ तनाव दौरान भारतीय सेना ने तो अपना कर्तव्य बखूबी निभाया तो सभी देशवासियों का भी फर्ज बनता है कि वह आस्तीन में छिपे ऐसे सर्पराजों को भी सबक सिखाए।
यही वजह है कि तुर्की की इस गतिविधि से नाराज देशवासियों ने पूरे मुल्क में “बायकाॅट टर्की” की मुहिम चला दी है, ताकि ऐसे मुल्क की अक्ल ठिकाने आए। इसके लिए यहां से आने वाले हरेक उत्पाद जिन पर “मेड इन टर्की” लिखा हो या उपरोक्त बारकोडिंग जिसकी शुरूआत में 868 या 869 अंकित हो तो उन्हें खरीदने के स्थान पर किसी कूड़ेदान का शिकार बनाना होगा।
कैट ने भी किया विरोध-
देश में संचालित व्यापारियों की बड़ी संस्था कैट ने भी टर्की के उत्पादों का बहिष्कार करने की अनुकरणीय घोषणा की है। कैट के पदाधिकारी प्रवीण खंडेलवाल ने कहा कि चाहे हमें नुकसान उठाना पड़े मगर हम टर्की से आयातित कोई भी माल नहीं उठाएंगे और न ही बेचेंगे। याद रहे देश में सर्वाधिक मार्वल की खपत टर्की की होती है, अतः रीयल स्टेट के कारोबार में जुड़े संस्थानों को भी ध्यान देना है कि उनके किसी भी निर्माण तुर्की का टाइल्स न लगे। वहीं विदेशों में पर्यटन के लिए जाने वाले लोगों को टर्की का टिकट कैंसल करा लेना चाहिए ताकि वहां की अर्थव्यवस्था में दिया गया उनका पैसा वहां की सरकार हमारे देश के खिलाफ उपयोग न कर पाए। याद रहे हमारी ऐसी छोटी-छोटी कोशिशों से हम देश के दुश्मनों को करारा जवाब दे सकते हैं। तो आएं हम और आप, इस #BYCOTT TURKEY : मुहिम का हिस्सा बनें दुश्मन देश की अक्ल ठिकाने लगाएं।