January 22, 2025 |
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दया कुछ तो गड़बड़ है…

क्या हो गया है हमारे कोर वोटरों को

Hriday Bhoomi 24

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प्रदीप शर्मा संपादक

हाल ही हुए 7 राज्यों की 13 विधानसभा सीटों के उपचुनावों में देश की प्रमुख राजनीतिक पार्टी भाजपा को मिली करारी शिकस्त बाद राजनीतिक गलियारे में एक सवाल मौजूं है-
“दया कुछ तो गड़बड़ है।” अब पार्टी के चीफ को आदेश देकर यह पता लगाना आवश्यक है कि अचानक उन कोर वोटरों को क्या हो गया है, जिनके दम पर 400 पार की उम्मीदें लगाई जा रही थी।

हालांकि उपचुनावों के परिणामों से कोई भावी राजनीति के सवाल हल नहीं होते। मगर मुख्य  लोकसभा चुनाव में मिले झटके के बाद विपक्ष की जीत को तुक्का मानने की भूल दल के मठाधीशों को भारी पड़ सकती है। क्योंकि इन 7 राज्यों की 13 विधानसभा सीटों के उपचुनाव में पार्टी को मात्र दो पर जीत मिली है। जबकि सिरे से खारिज किए इंडी एलायंस के दल 10 सीट जीते हैं।

यहां एक बड़ा सवाल यह भी है कि जिस पार्टी के देश भर में एक करोड़ से अधिक सदस्य व लाखों सक्रिय कार्यकर्ताओं की टीम हो, यदि वह बड़े और महत्वपूर्ण चुनाव में ऐन मौके पर पटकनी खा जाए तो इसका एक ही कारण है कि- दया पार्टी में भीतर कहीं कुछ तो गड़बड़ है।

यहां हम याद दिलाना चाहेंगे कि पार्टी ने बीते कुछ समय दौरान अपने समर्पित कार्यकर्ताओं की उपेक्षा कर दूसरे दलों को तोड़कर तात्कालिक सत्ता लाभ तो ले लिया मगर अपने दल की रीढ़ कमजोर कर ली।
खास तौर पर भाजपा की ताकत ‘आरएसएस’ में ही अपनी इस राजनीतिक इकाई से नाराजी है। बीते विधानसभा के मुख्य चुनाव पूर्व हमारे मध्यप्रदेश में ही संघ के नाराज पुराने कार्यकर्ताओं ने नाता तोड़कर ‘जनहित पार्टी’ नामक एक नया दल बनाकर अपने प्रत्याशी भी मैदान में उतार दिए थे। इससे भाजपा को कितना नुकसान हुआ शोध का विषय हो सकता है। मगर संघ के पुराने कार्यकर्ताओं में भाजपा से नाराजी जरूर उजागर हुई है।
अब लोकसभा चुनाव में मिले घावों और विधानसभा उपचुनाव में खरोंचों के बाद पार्टी को गहन मंथन करने की आवश्यकता है। अन्यथा देश में पार्टी की बेहतरीन लीडरशिप के बावजूद अंदरुनी असंतोष से दल की लुटिया डुबने की पूरी आशंका है।


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