प्रदीप शर्मा संपादक हृदयभूमि
“न जीत में न हार में, किंचित नहीं भयभीत मैं” पूर्व प्रधानमंत्री एवं भाजपा नेता अटलबिहारी वाजपेयी की तरह पूर्व कृषि मंत्री कमल पटेल भी एक ऐसे नेता हैं जो काल्पनिक पक्षी फिनिक्स की तरह राख होकर भी उड़ जाने का मिजाज रखते हैं।
-अचानक मिली बड़ी जिम्मेदारी
अपने नेता अटलबिहारी वाजपेयी और वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के समर्थक भाजपा नेता कमल पटेल ने हर मोर्चे पर अडिग रहकर पार्टी की कमान संभाली और मुकाम तक पहुंचाया। याद करें इंदौर में रहते हुए अपने कालेज जीवनकाल में उन्होंने कैलाश विजयवर्गीय के साथ तब पार्टी की युवा लाबी का हिस्सा बने जबकि देश एवं प्रदेश में कोई इसका नामलेवा भी नहीं था।
पहले चुनाव में बड़ी हस्ती को हराया
उच्च शिक्षा अध्ययन कर अपने गृहजिले हरदा में वापस आए कमल पटेल की तब कोई राजनीतिक पहचान भी नहीं थी। ऐन मौके पर विधानसभा चुनाव भी सामने थे। तब कांग्रेस के तत्कालीन दिग्गज नेता श्री विष्णु राजौरिया के सामने पार्टी ने खिरकिया निवासी अपने पूर्व विधायक श्री अग्रवाल को टिकिट दी थी। मगर एकाएक ऐसा कुछ राजनीतिक उलटफेर हुआ कि आलाकमान ने वह टिकट काटकर युवा कमल पटेल को श्री राजौरिया के सामने लाकर इसे शेर व भेड़ की जंग में बदल दिया। तब किसी को भी पता नहीं था कि यह चुनाव ऐतिहासिक बनने जा रहा है।
तस्वीर बदलने वाला चुनाव –
तब कौन जानता था कि यह चुनाव हरदा की तकदीर और तस्वीर बदलने की इबारत रचने वाला है। और लगभग हारी हुई सी सीट को जीतने की कमान, खेल-खेल में संभालकर, श्री पटेल ने उलटफेर कर इतिहास रच दिया। यहां आपको बता दें तब हरदा जिले को कांग्रेस का गढ़ माना जाता था। मगर इसके बाद इस जिले की राजनीतिक कहानी एकदम बदल गई।
पार्टी में युवा लाॅबी को तराशा-
उनके प्रयासों से हरदा जिले में हुए विकास की बातें तो ढेर सारी हैं, मगर सबसे खास यह कि तब उन्होंने भारतीय जनता युवा मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष पद रहते हुए पूरे प्रदेश में पार्टी का युवा नेतृृृृत्व तराशा जिससे पार्टी की भावी पीढ़ी के नेता तैयार हुए। कमल एक ऐसी जुझारू शख्सियत का भी नाम है जो विपक्ष में रहकर तमाम आरोपों का सामना कर सीबीआई की जांच से भी गुजरे और कोर्ट से बरी होकर धवल साफ-सुथरे लौटे। यही वजह है कि वे चाहे चुनाव में जीतें या हारें, उनका मान हर जगह बना रहता है।
हर समय अविचलित-
गत विधानसभा चुनाव में अपने मोर्चे पर अकेले किला लड़ाते हुए कमल पटेल की चाहे कुछ मतों से हार हुई हो, मगर “न जीत में, न हार में, किंचित नहीं भयभीत मैं” के मिजाज वाले नेता कमल पटेल के नेतृत्व कौशल पर विश्वास कर पार्टी हाईकमान द्वारा अनेक राज्यों के चुनावों में कमान सौंपी जाती है।
श्री पटेल को 63 वें जन्मदिवस की बधाई।