हृदयभूमि, नईदिल्ली।
‘वन नेशन-वन इलेक्शन’ लेकर केंद्र सरकार द्वारा पूर्व राष्ट्रपति श्री रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में बनाई गई कमेटी की सिफारिशें आ चुकी हैं। विगत दिवस केंद्र सरकार की कैबिनेट ने इसे मंजूरी आज प्रदान कर दी है। ऐसा माना जा रहा है कि सरकार लोकसभा की अगली बैठकों में इस पर एक बिल लेकर आएगी।
यह पारित होने के बाद राष्ट्रपति की मंजूरी मिलते ही यह कानून बन जाएगा। इससे एक साथ लोकसभा व विधानसभाओं के चुनाव होने पर करोड़ों रुपए की बचत होगी। इसके दूसरे चरण से लोकसभा और विधानसभा चुनाव के साथ स्थानीय नगर निकायों के भी चुनाव कराए जाएंगे।
ज्ञात हो कि पूरे पांच वर्षों के दौरान देश के विभिन्न राज्यों में अनेक चुनाव होते रहने से आदर्श चुनाव आचार संहिता खत्म लागू रहती है। इस कारण भी सरकार के अनेक विकास कार्य व फैसलों पर अमल नहीं हो पाता है।
क्या हैं सिफारिशें –
–दो-चरणीय दृष्टिकोण:समिति एक साथ चुनाव के लिये दो-चरणीय दृष्टिकोण का प्रस्ताव करती है।
-सबसे पहले लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के चुनाव एक साथ होंगे।
-इसके बाद, नगर पालिकाओं एवं पंचायतों के चुनाव राष्ट्रीय और राज्य चुनावों के अनुरूप होंगे।
-इसके अतिरिक्त, समिति सरकार के सभी स्तरों पर एकीकृत मतदाता सूची और चुनावी फोटो पहचान पत्र की वकालत करती है।
-एक साथ चुनाव की सुविधा के लिये समिति ने संविधान में संशोधन की सिफारिश की।
-एक नया अनुच्छेद 82A, एक साथ चुनाव कराने की प्रक्रिया स्थापित करेगा।
-इसमें एक आधिकारिक तारीख की नियुक्ति और आम चुनावों के बाद विधान सभाओं का एक साथ विघटन शामिल है।
-भारतीय निर्वाचन आयोग इन चुनावों के समन्वय की निगरानी करेगा।
-समिति ने पंचायत और नगर पालिकाओं में एक साथ चुनाव के लिये अनुच्छेद 324 A का प्रस्ताव रखा।
-और अनुच्छेद 325(2) प्रत्येक क्षेत्रीय क्षेत्र के लिये एक एकीकृत चुनावी रजिस्टर स्थापित करेगा, जो लोगों के सदन, राज्य विधानमंडल, नगर पालिका या पंचायत के चुनावों पर लागू होगा।
-चुनावी प्रक्रिया को और अधिक सुव्यवस्थित करने के लिये, समिति राज्य अनुसमर्थन की आवश्यकता वाले संशोधनों का प्रस्ताव करती है।
-इन संशोधनों का उद्देश्य सरकार के विभिन्न स्तरों पर चुनावों को शामिल करते हुए सभी क्षेत्रीय निर्वाचन क्षेत्रों के लिये एक एकल मतदाता सूची बनाना है।
-राज्य निर्वाचन आयोगों के परामर्श से ECI द्वारा तैयार की गई यह केंद्रीकृत मतदाता सूची मौजूदा मतदाता सूचियों की जगह लेगी।
-समिति की सिफ़ारिश के अनुसार त्रिशंकु सदन या अविश्वास प्रस्ताव की स्थिति में नए सदन के गठन के लिए फिर से चुनाव कराए जा सकते हैं. इस स्थिति में नए लोकसभा (या विधानसभा) का कार्यकाल, पहले की लोकसभा (या विधानसभा) की बाकी बची अवधि के लिए ही होगा. इसके बाद सदन को भंग माना जाएगा. इन चुनावों को ‘मध्यावधि चुनाव’ कहा जाएगा, वहीं पांच साल के कार्यकाल के ख़त्म होने के बाद होने वाले चुनावों को ‘आम चुनाव’ कहा जाएगा.
-आम चुनावों के बाद लोकसभा की पहली बैठक के दिन राष्ट्रपति एक अधिसूचना के ज़रिए इस अनुछेद के प्रावधान को लागू कर सकते हैं. इस दिन को “निर्धारित तिथि” कहा जाएगा.
-इस तिथि के बाद, लोकसभा का कार्यकाल ख़त्म होने से पहले विधानसभाओं का कार्यकाल बाद की लोकसभा के आम चुनावों तक ख़त्म होने वाली अवधि के लिए ही होगा. इसके बाद लोकसभा और सभी राज्यों की विधानसभाओं के सभी एक साथ चुनाव कराए जा सकेंगे.
-एक समूह बनाएं जो समिति की सिफारिशों के कार्यान्वयन पर ध्यान दे.
-लोकसभा और विधानसभा चुनावों के लिए ज़रूरी लॉजिस्टिक्स, जैसे ईवीएम मशीनों और वीवीपीएटी खरीद, मतदान कर्मियों और सुरक्षा बलों की तैनाती और अन्य व्यवस्था करने के लिए निर्वाचन आयोग पहले से योजना और अनुमान तैयार करे. वहीं नगरपालिकाओं और पंचायतों के चुनावों के लिए ये काम राज्य निर्वाचन आयोग करे।