October 12, 2024 |
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हमारे मुस्कुराने की वजह केवल आप हैं …

और मुझे अब तलक पता नहीं चला

Hriday Bhoomi 24

प्रदीप शर्मा संपादक।

हमारे मुस्कुराने की वजह केवल आप हैं/

और एक मैं हूं कि अब तक मुझे इसका पता नहीं चला/

-इधर एक मैं हूं
और एक आप हैं/
जो एक-दूसरे को देख
मुस्कुरा देते हैं/
वरना आजकल के इस जमाने में

खुशियां बड़ी मुश्किल से मिलती हैं।

-तो आओ क्यों न हम

कभी-कभार यूं ही मिल जाया करें/
हंसने और मुस्कुराने का एक बहाना मिल जाएगा।

-वह इसलिए भी कि 

ये धूप थी घनी और कड़ी भी बहुत/
जब तुम मेरे साथ चले तो
लगा सर्द हवा का झोंका चला/
तुम जब-जब संग चले तो ऐसा लगा

कोई अपना सा मिला/
जब फिर न आए तुम कभी/
और कोई आहट सी भी न मिली/
मुझको लगा कि
शायद मुझे ही

कोई धोखा हुआ।


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