प्रदीप शर्मा संपादक।
लोकसभा चुनाव में अंतिम चरण का प्रचार अभियान पूर्ण होते ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कन्या कुमारी में विवेकानंद शिला पर ध्यान योग करने चले जाएंगे। इस दौरान यहां वे कुछ (48) घंटे रहकर भारत के मनीषी स्वामी विवेकानंद को याद करेंगे, जिन्होंने पूरी दुनिया को भारत के ज्ञान का संदेश दिशा दिया था।
-हां इस दौर में एक वर्ग और अवश्य होगा जो चुनाव में अच्छे और बुरे परिणामों को लेकर ईवीएम मशीन को अरब सागर या बंगाल की खाड़ी में डुबाने को तैयार बैठा है। ये डिजिटल विश्व के इस दौर में भी उसी बैलेट पैपर की हिमायत करते हैं जिसकी पेटियां लूटकर नेता लोग वोटिंग की अस्मत तार-तार करते थे।
इसे देखते हुए हमें उस महान अधिकारी एवं मुख्य चुनाव आयुक्त की याद आती है जिसने आज चुनाव की वह व्यवस्था की बुनियाद रखी जिसे देखने विश्व के कोने-कोने से विशेषज्ञों की टीम यहां आती है। इस अधिकारी का नाम बड़े सम्मान के साथ टीएन शेषन के रूप में याद किया जाता है।
– यह टीएन शेषन साहब की देन है कि उन्होंने तमाम विरोधों के बीच सभी मतदाताओं के परिचयपत्र बनवाकर मतदान को साफ-सुथरा बनाया। इस मसले पर तब उनकी देश के बड़े से बड़े मठाधीशों (नाम आलू-लालू टाइप है) से जमकर बहस हुई। और वही हुआ जो शेषन ने चाहा।
– आज यह शेषन की ही देन है कि सभी मतदाताओं के पास अपने वोटर आईडी हैं,और कालांतर में डिजिटल वोटिंग होने लगा। यदि ये न होते तो तबके आलू-लालू इस व्यवस्था को लागू नहीं होने देते जो अभी भी फूंक मार बैलेट पैपर लूटने की हिमायत करते हैं।