स्वयंसेवक : मुझे चाहिए बस देश के लिए सेवा का मौका
देश में हर संकट की घड़ी, बड़े काम आए हैं स्वयंसेवक
प्रदीप शर्मा हरदा।
मुझे चाहिए बस देश सेवा का एक मौका, हम हर संकट की घड़ी में समाज के सेवार्थ बड़े काम आए हैं। जी हां मैं स्वयंसेवक हूं। सन 1928 में श्री केशवराम जी हेगड़े ने इसे स्थापित किया था, तब दो-चार-पांच सदस्य भी नहीं थे। फिर जनसेवा के जुनून में समर्पण भाव से इतने लोग आए कि- तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने 1962 के चाइना-वार दौरान सैनिकों की मदद करने सहयोग मांगा था। स्वयंसेवकों ने भी तब बड़े मनोयोग से दुखी घायल सैनिकों की सेवा-सुश्रुषा की।
बड़े काम आए स्वयंसेवक
नागपुर में जन्मी यह संस्था अपने नाम के अनुरूप राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ देश में हर संकट की घड़ी सेवार्थ नजर आई। गुजरात के कच्छ में भीषण भूकंप या आंध्रप्रदेश का भूकंप हर घड़ी इसके स्वयंसेवकों ने मानव समाज की सेवार्थ नि:स्वार्थ योगदान किया है।
मैं हूं स्वयंसेवक
मैं संघ का एक स्वयंसेवक, जरूरत पड़ने पर ही दिखता हूं, जब राष्ट्र को जरूरत होती है., मैं स्वयं भीड़ से निकलकर आता हूं और मेरा काम खत्म होते ही फिर से भीड़ में खो जाता हूं।
राष्ट्र खुशहाल तो मैं प्रसन्न हूं, ये मुरझाए तो दुखी हो जाता हूं, मुझे नहीं पता कौन प्रत्याशी, मैं सिर्फ उन्नत राष्ट्र चाहता हूं, मुझे खुशी होती है मेरा देश सुरक्षित हाथों में है। मुझे बूथ पर न खाना चाहिए न चाय, मैं भूखे भी निस्वार्थ राष्ट्र के लिए जी जान से जुटा रहता हूं।
मै हूं संघ का स्वयंसेवक…..