प्रवासी भारतीयों को संबोधित करने के क्या हैं मायने
विदेशों में रह रहे भारतीयों को संबोधित करना बड़ी योजनाओं का हिस्सा है
प्रदीप शर्मा संपादक
पिछले 10 वर्षों की तरह इस साल भी विदेश प्रवास के दौरान भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अमेरिका के महानगर न्यूयार्क में एक बार फिर वहां रह रहे भारतीयों को संबोधित कर अपने देश को मिल रही नई उड़ान की जानकारी दी, और उनके मन में गौरव का संचार किया।
वे चाहते तो अब तक के पूर्व प्रधानमंत्रियों की तरह वहां जाकर संबंधित देश के राष्ट्राध्यक्षों से मुलाकात कर/ कुछ संधियों पर हस्ताक्षर करके उस देश की मीडिया के साथ चर्चा कर अपने दौरे की सफलता का गुणगान कर सकते थे।
लीक से हटकर नेता –
मगर यह क्या कि वे न केवल राष्ट्राध्यक्षों से मुलाकात कर देश हित की संधियों को स्वीकृति देने के साथ वहां के सदन में भाषण दे रहे हैं। बल्कि उस देश में रहने वाले भारतीय मूल के लोगों को संबोधित कर सीधी बात कर रहे। कुछ आलोचक या समीक्षक इसे एक शिगूफा बताकर खारिज करें, अथवा इसे कोई ढकोसला बता दें। फिर भी हमें यह याद रखना होगा कि मोदी थोड़े अलग तरह के नेता हैं।
उनके द्वारा विदेश में प्रवासरत भारतीय मूल के नागरिकों को संबोधित करने के क्या हैं मायने, इसे जानने के लिए हमें, देश के सामने देश के सामने मौजूद चुनौतियों और सरकार के लक्ष्यों के साथ दूरगामी योजनाओं को समझना होगा।
क्या हैं चुनौतियां –
दरअसल जिन हालातों में मोदी सरकार ने सन 2014 में देश की कमान संभाली थी/ तब पूरे विश्व में भारतवर्ष की इकाॅनामी 11 वें स्थान पर थी। पड़ौसी मुल्क तब भारतवर्ष को हर मोर्चे पर घेर रहे थे। देश में मध्यम और लघु उद्योग दम तोड़ने के कगार पर थे। एक पूर्व वित्तमंत्री और प्रधानमंत्री तो यह तक कह चुके थे कि रुपए पैसे पेड़ों पर नहीं ऊगते।
पाई-पाई जोड़कर स्टार्ट-अप बनाना-
इन हालातों में मोदी ने जीरो बैलेंस खाते खोलकर देशवासियों को पाई-पाई जोड़ना बताया। ऐसे धन जोड़ने वाले गरीबों और मध्यमवर्गीय लोगों के लिए प्रधानमंत्री मुद्रा योजना लाकर नए स्टार्ट-अप शुरू करने में मदद दी। इससे आज अपना मुल्क दुनिया की 5 वीं सबसे बड़ी अर्थ व्यवस्था बनने में कामयाब हुआ।
समानांतर योजनाएं भी चलीं –
जब देश मेंं इन योजनाओं पर काम चल रहा था, तभी इसके समानांतर एक और योजना भी चल रही थी बड़े उद्योगपतियों को लाकर बड़े कारखाने लगवाने और विदेशों में रहने वाले भारतीयों से यहां निवेश करने के लिए प्रेरित करना। हमने देखा है बीते वर्षों में उत्तर प्रदेश तथा मध्यप्रदेश सहित अन्य राज्यों के साथ इनके एमओयू साईन हुए। कुछ उद्योग तो शुरू भी हो चुके हैं।
प्रवासी भारतीयों में गौरव का संचार –
मोदी सरकार की यही योजना है कि विदेश में रहने वाले भारतीयों को प्रेरित कर बताएं कि यहां आईटी, एआई जैसी तकनीकी से देशवासी अनजान नहीं है। बल्कि विभिन्न क्षेत्रों में फर्राटे से काम कर रहे हैं। इन देशों में जाकर भारतीय मूल के लोगों के साथ चर्चा करने का यह मकसद होने के साथ उनमें यह आत्मविश्वास भी जगाना है कि तरक्की की दिशा में अपना दे अब दुनिया के बड़े देशों के साथ कदमताल कर रहा है।