प्रदीप शर्मा संपादक
दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को सौ करोड़ रुपए की रिश्वत लेने के आरोप में अदालत द्वारा 1 लाख रुपए के मुचलके पर जमानत देने के फैसले पर मीडिया ट्रायल कुछ इस तरह चला जैसे कि कोर्ट ने आरोपी को बरी कर दिया हो।
– यहां हम अदालत के फैसले पर सवाल नहीं उठा रहे हैं। बल्कि निचली अदालत के फैसले पर गत दिवस ऐसा मीडिया ट्रायल पर चर्चा कर रहे हैं जिसमें सवाल उठा कि कोर्ट ने जमानत नहीं दी, बल्कि आरोपी को बरी ही कर दिया है।
– यहां हम कोर्ट के फैसले और केजरीवाल की हिफाजत पर कोई सवाल नहीं उठा रहे, बल्कि उन हालातों पर चर्चा कर रहे हैं जो इस मीडिया ट्रायल में उठी।
– एक चैनल ने लिखा कि “आप की” शुभ घड़ी आई”
तो क्या श्रीमान आरोपी बच गए।
– एक चैनल ने भी ऐसी ही बहार लाने का प्रयास किया।
– अब सवाल है कि एक मामूली जमानत को क्या कोर्ट की ओर से बरी मानकर देश भर में गलत प्रचार किया जा सकता है। यह कार्य उनकी पार्टी आप करे तो अलग बात है, मगर मीडिया भी ऐसा प्रचारित कर जमानत के आदेश की मनमानी व्याख्या करे तो यह कितना ठीक होगा ।
– इसलिए कानून के हिमायतियों इत्मीनान रखें, कोर्ट का जब फैसला आएगा तब बातें करना। अभी तो आरोपी को बाहर रहने की ही गुंजाइश मिली है।
– हां जमानत देकर देश की निचली अदालत ने उन सभी कथित आरोपों को जरूर खारिज कर दिया जो यह सवाल उठाते हैं कि यहां न्याय न मिला तो हम हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट जाएंगे।