सांसद प्रतिनिधि पर बयान देकर बुरे फंसे कांग्रेस प्रवक्ता
क्या पार्षद और पंचों को कमतर दिखाने पर कोर्ट जाएगी भाजपा
प्रदीप शर्मा, हरदा।
विधानसभा चुनाव में मिथ्या पेंशन का वादा करने के साथ अफवाहों के आधार पर कुछ सौ मतों से चुनाव जीतने वाली कांग्रेस उस भाजपा नेता पर टीका-टिप्पणी कर रही है, जिन्होंने 5 बार उनकी पार्टी को पटकनी दी। खिरकिया जनपद पंचायत के उपाध्यक्ष मोहन सिंह सौलंकी ने पूर्व कैबिनेट मंत्री कमल पटेल के सांसद प्रतिनिधि बनने पर कांग्रेस द्वारा कटाक्ष किए जाने पर उक्त बयान देते हुए पलटवार किया है। गतिविधियों से लगता है कि कोर्ट में गया तो मामला कांग्रेस के लिए गले की फांस साबित हो सकता है।
बढ़ेंगी आदित्य की मुश्किलें –
ज्ञात हो कि जिला कांग्रेस प्रवक्ता एवं अधिवक्ता आदित्य गार्गव द्वारा मीडिया में केंद्रीय राज्यमंत्री दुर्गादास उइके के सांसद प्रतिनिधि कमल पटेल पर विवादित बयान जारी कर मधुमक्खियों के छत्ते को ही छेड़ दिया है। उनके बयानों के निहितार्थ निकाल कर उसमें पंचों के अपमान को मुद्दा बना कोर्ट में जाने पर भी विचार कर रहे हैं।
क्या कहा मोहन सिंह सौलंकी ने-
जनपद उपाध्यक्ष मोहन सिंह सौलंकी ने कहा कि मीडिया में अपनी टीआरपी बढ़ाने के लिए अति-उत्साह में कांग्रेस प्रवक्ता पंचायतों में निर्वाचित हमारे जन प्रतिनिधि पंचों और पार्षदों का अपमान न करें। अधिवक्ता श्री गार्गव स्थानीय स्तर पर पंचों को प्रोटोकॉल न होने से उन्हें कमतर न आंके, लेकिन एक जन प्रतिनिधि होने के नाते उनकी गरिमा का ध्यान अवश्य रखें।
अपना गिरेबां झांके –
उन्हें याद रखना चाहिए कि कुछ वर्ष पूर्व हरदा नगर पालिका में उनकी पत्नी पार्षद व नेता प्रतिपक्ष थी। तब वे अघोषित रूप से उनके प्रतिनिधि होने का दावा कर निकाय के कार्यों में हस्तक्षेप करते थे। याद रहे हमारी परंपराओं में पंच परमेश्वर माना गया है। इसलिए पंचों और पार्षदों के महत्वपूर्ण पदों की गरिमा का भी ध्यान रखें।
पद छोटा बड़ा नहीं,व्यक्ति से बड़ा
श्री सौलंकी ने कहा कि कांग्रेस प्रवक्ता सिर्फ यहीं नहीं रुके बल्कि उन्होंने सांसद प्रतिनिधि के पद को छोटा बताया। जबकि इसके नेता मध्यप्रदेश में पार्टी का एक भी सांसद न होने से यह भी नहीं बन पा रहे। यह तो खिसियानी बिल्ली खंबा नोचे जैसी कहावत हो गई। जिसे न तो दही मिला और न ही मटकी।
इतिहास खंगालें –
शायद श्री गार्गव को यह भी नहीं पता कि इस पद पर अधिकतर एससी, एसटी, ओबीसी महिला वर्ग के लोग आकर ईमानदारी से अपनी ज़िम्मेदारी निभा रहे हैं। यहां पद महत्वपूर्ण नहीं है बल्कि जनसेवा और क्षेत्र का विकास प्रमुख है। ये लोग बिना किसी मानदेय के वह कार्य कर रहे हैं जिसका सपना भी यहां कांग्रेस नहीं देख सकती।