May 13, 2025 |
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इंदौर हाईकोर्ट ने माना – आरएसएस सांप्रदायिक संगठन नहीं

कोर्ट ने कहा-सरकार ने गलती सुधारने में 5 दशक लगा दिए

Hriday Bhoomi 24

हृदयभूमि, इंदौर।

केंद्रीय कर्मचारियों के सेवानिवृत्त होने बाद राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की गतिविधियों में शामिल नहीं होने के केंद्र सरकार के आदेश के खिलाफ हाई कोर्ट की डिविजन बेंच ने विस्तृत आदेश जारी किया है।

हाई कोर्ट ने कहा यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि 1966 फिर 1970 और फिर 1980 में आरएसएस को सांप्रदायिक संगठन मानकर उसकी गतिविधियों, शाखाओं में शरीक होने पर रोक लगा दी। आरएसएस के द्वारा सरस्वती शिशु मंदिर सहित समाज उत्थान के कई प्रकल्प भी चलाए गए जिससे समाज बेहतर हुआ है।

कोर्ट ने कहा कि केंद्र सरकार को यह महसूस करने में लगभग पांच दशक लग गए कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ जैसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रसिद्ध संगठन को गलत तरीके से सरकारी कर्मचारियों के लिए प्रतिबंधित संगठनों की सूची में रखा गया था। कई केंद्रीय सरकारी कर्मचारियों की कई तरीकों से देश की सेवा करने की आकांक्षाएं, इस प्रतिबंध के कारण इन पांच दशकों में कम हो गई थी। केंद्र सरकार ने आरएसएस में शरीक होने के सर्कुलर में जो संशोधन किया है उसे अपनी ऑफिशियल वेबसाइट पर डाला जाए।

यही नहीं देशभर में जनसंपर्क विभाग के माध्यम से इसे प्रचारित भी किया जाए कि रिटायर होने के बाद कर्मचारी आरएसएस में शरीक हो सकते हैं।

प्रशासनिक जज एसए धर्माधिकारी, जस्टिस गजेंद्र सिंह की डिविजन बेंच ने यह आदेश जारी किया है। 


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