प्रदीप शर्मा संपादक
लोकसभा चुनाव में तिथि का ऐलान होने के बाद पर्चे जमा भी हो गए, और समय से कुछ पर्चे उठने के साथ चुनाव चिन्ह का आवंटन हो गया है।
मेहरबान/कदरदान इसके साथ ही खुल गया है 20-25 दिनों तक चुनावी झूठ का बाजार। झूठ के इस मेले में दुकानों पर सज गई तरह-तरह के झूठों की तस्तरी। आप कौन सी पसंद करेंगे जनाब, मोहब्बत की मिठाई या नफरत भरा नमकीनी अचार। जल्दी बताएं भाई जी, ग्राहकी जरा लंबी है सो फटापट बताए। जरा पीछे हटिए, वहां कौन लगा है लाइन में, आपको बंगाली रसगुल्ला पसंद है या साउथ की इडली, या गुजरात का खमण ढोकला।
इस प्रकार चुनावी मेले में सजी दुकानों पर इस बार झूठ की कुछ दुकानें आई हैं। मगर इनके उत्पादों या सामग्रियों से अपच होने का बड़ा खतरा है। इसलिए बाजार में तो जाना मगर काफी सोच समझकर प्लेट उठाना। क्योंकि इसका जायका 2029 तक रहेगा।
मेहरबान/कदरदान आईए और झूठ-सच की इन दुकानों से एक सच को चुनकर ले जाईए। बस यही है हमारा बंपर आफर।