यक्षप्रश्न : जीआरएस के बिना कैसे पूरी होगी रोजगार गारंटी
मप्र राज्य रोजगार गारंटी परिषद ने भर्ती पर लगाई रोक
प्रदीप शर्मा, संपादक।
केन्द्र सरकार द्वारा बनाई गई महात्मा गांधी राष्ट्रीय रोजगार गारंटी योजना के तहत गांवों में विकास के लिए विशेष फंडिंग की व्यवस्था की गई है। इससे विकास कार्य तो होंगे ही और गांवों में मजदूरों को वर्ष में सौ दिन के रोजगार की गारंटी मिलेगी तथा मजदूरों का पलायन भी रुकेगा। यह सरकार की एक योजना भर नहीं है बल्कि इसे कानूनी रूप भी दिया गया। ताकि तय काम न मिलने पर हितग्राही श्रमिक गारंटी का लाभ उठा सके। मगर विभाग के एक ताजा आदेश से गांवों में इस योजना को अमलीजामा पहनाने वाले रोजगार सहायकों की भर्ती पर अस्थाई रूप से रोक लगा दी गई है। इससे ग्रामीण विकास की रफ्तार तो थमेगी ही, काम न मिलने पर मजदूरों को मिली 100 दिन के रोजगार की गारंटी भी खटाई में पड़ जाएगी।
आदेश वायरल –
जानकारी के अनुसार शासन द्वारा इस योजना का विधिवत संचालन होता रहे, इसके लिए ग्राम पंचायतों में पृथक से रोजगार सहायक (जीआरएस) पद सृजित किया। जो योजना के कार्य कराएंगे तथा पंचायत सचिव अपने अन्य दायित्वों का निर्वहन कुशलतापूर्वक कर सकेंगे। मगर हाल ही में मप्र राज्य रोजगार गारंटी योजना परिषद के आयुक्त ने इसकी भर्ती पर रोक लगा दी। इससे गांवों में विकास की रफ्तार थमने का अंदेशा है।
विपक्ष को मिलेगा मुद्दा-
खास बात यह कि सोशल मीडिया पर वायरल उक्त आदेश का आज तक खंडन जारी नहीं हुआ है। इससे बैठे ठाले विपक्षी दल कांग्रेस को मुद्दा मिल जाएगा। और निकट के विधानसभा सत्र में सरकार को घेरने की कोशिश होंगी।
क्या है आदेश –
जानकारी के अनुसार मध्यप्रदेश राज्य रोजगार गारंटी परिषद के आयुक्त एस. कृष्ण चैतन्य द्वारा 14 जून 2024 को किया गया एक निर्देश खूब वायरल हो रहा है। जिसमें फंड की कमी बताते हुए जिलों की पंचायतों में रोजगार सहायक भर्ती पर रोक लगाने के निर्देश दिए हैं। इस पर अमल होने से अब पंचायतों में रोजगार सहायकों की नई भर्ती नहीं हो पाएगी।
दो हफ्ते पूर्व दी थी अनुमति –
इसमें कमाल की बात यह है कि पूर्व में 2 जून 2024 को ऐसी नियुक्ति के आदेश जारी किए थे। मगर अब दो सप्ताह बाद अचानक ऐसा क्या हुआ कि फंड में कमी बताकर भर्ती पर अस्थाई रोक लगा दी। हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि निकट समय में इसकी अनुमति दी जा सकेगी। यह अनुमति कब मिलेगी यह सवाल भी अभी अनुत्तरित है।
ग्रामीण विकास योजनाएं लटकेंगी –
इस कारण अब ग्राम पंचायतों में महात्मा गांधी राष्ट्रीय रोजगार गारंटी योजना के तहत चलने वाले विकास कार्यों की जिम्मेदारी पंचायत सचिवों को ही संभालनी होगी। पहले से काम के बोझ में लदे सचिवों पर यह अतिरिक्त बोझ आने से ग्रामीण विकास की योजनाओं का काम मंदा हो जाएगा।
रोजगार गारंटी का यक्षप्रश्न –
ऐसे में एक यक्षप्रश्न यह सामने है कि मजदूरों को साल में सौ दिन मिलने वाली गारंटी पूरी कर पाना पंचायतों के लिए काफी मुश्किल होगा। यदि मजदूरों ने गारंटी का भुगतान मांगना शुरू कर दिया तब सरकार उन्हें बिना काम किए कैसे भुगतान कर पाएगी।