हरदा – म.प्र. अनुसूचित जाति, जनजाति अधिकारी एवं कर्मचारी संघ अजाक्स ने अन्य ओ बी सी लोगों के साथ मुख्यमंत्री एवं महामहिम राष्ट्रपति के नाम अशोक डेहरिया डिप्टी कलेक्टर हरदा को ज्ञापन सौंपा।
अजाक्स जिलाध्यक्ष श्रीमती सीमा निराला ने बताया कि ज्ञापन में मांग की है कि हम, अजाक्स मध्य प्रदेश के सदस्यगण, इस पत्र के माध्यम से आपका ध्यान मध्य प्रदेश में सिविल जजों की नियुक्ति प्रक्रिया में विद्यमान गंभीर असमानता की ओर आकर्षित करना चाहते हैं। वर्तमान में, सिविल जजों के चयन में साक्षात्कार प्रक्रिया में कई अभ्यर्थी असफल हो रहे हैं, जबकि वे लिखित परीक्षा में उच्च अंक प्राप्त कर सफल हो चुके होते हैं। इसके अतिरिक्त, सिविल जजों की नियुक्ति में अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए संविधान में निहित आरक्षण का पालन नहीं किया जा रहा है, जो कि संविधान के अनुच्छेद 15 (4) और 16 (4) का उल्लंघन है।
मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग (MPPSC) और संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) द्वारा आयोजित विभिन्न परीक्षाओं में अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग के उम्मीदवारों को आरक्षण का लाभ दिया जाता है। इससे यह स्पष्ट है कि इन वर्गों को संवैधानिक रूप से उचित प्रतिनिधित्व प्रदान करने की आवश्यकता को सरकार द्वारा मान्यता दी गई है। न्यायिक सेवाओं में इन वर्गों को आरक्षण का लाभ न देने से यह संविधान के मूल सिद्धांतों का उल्लंघन है।
सिविल जजों की चयन प्रक्रिया में साक्षात्कार का चरण अत्यधिक महत्वपूर्ण है, परंतु कई बार इसमें पारदर्शिता की कमी देखी जाती है। अभ्यर्थियों के लिखित परीक्षा में अच्छे अंक प्राप्त करने के बावजूद, साक्षात्कार में असफल होने की दर बहुत अधिक है। इस संदर्भ में, यह आवश्यक है कि साक्षात्कार प्रक्रिया को अधिक पारदर्शी और निष्पक्ष बनाया जाए।
आरक्षण का मुख्य उद्देश्य उन वर्गों को मुख्य धारा में लाना है जो ऐतिहासिक रूप से सामाजिक और आर्थिक दृष्टि से पिछड़े हुए हैं। न्यायिक सेवाओं में भी इन वर्गों का समुचित प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करना अत्यंत महत्वपूर्ण है, ताकि न्यायिक प्रक्रिया में सभी वर्गों की भागीदारी हो सके और समाज में न्याय का वास्तविक और समावेशी वितरण हो।
मध्य प्रदेश सरकार का कर्तव्य है कि वह संविधान में निहित प्रावधानों का पालन करे और न्यायिक सेवाओं में आरक्षण लागू करने के लिए आवश्यक कदम उठाए। राज्य सरकार को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि सिविल जजों की नियुक्ति प्रक्रिया में सभी वर्गों को समान अवसर प्राप्त हो। हम इस सुझाव के साथआग्रह करते हैं कि मध्य प्रदेश में न्यायिक सेवाओं में अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षण लागू करने के लिए निम्नलिखित कदम उठाए जाएं:
1. *आरक्षण का प्रावधानः सिविल जजों की नियुक्ति में अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षण का स्पष्ट प्रावधान किया जाए।
2.साक्षात्कार प्रक्रिया को पारदर्शी और निष्पक्ष बनाने के लिए एक स्वतंत्र समिति का गठन किया जाए जो साक्षात्कार प्रक्रिया की समीक्षा और निगरानी करे।
3. अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग के अभ्यर्थियों के लिए विशेष प्रशिक्षण और मार्गदर्शन कार्यक्रम आयोजित किए जाएं, ताकि वे साक्षात्कार और अन्य चयन प्रक्रियाओं में सफल हो सकें।
4. समय-समय पर चयन प्रक्रिया की समीक्षा की जाए और यह सुनिश्चित किया जाए कि सभी वर्गों को न्यायिक सेवाओं में समान अवसर प्राप्त हो रहे हैं। मध्यप्रदेश की न्यायिक सेवाओं में अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षण लागू करना संविधान के सिद्धांतों के अनुरूप है और यह समाज में न्याय और समावेशन को प्रोत्साहित करेगा।
इस दौरान अजाक्स जिलाध्यक्ष श्रीमती सीमा निराला के साथ उपाध्यक्ष डॉ. प्रेम नारायण इवने, महासचिव ज्योति परते, प्रवक्ता सुभाष मसकोले, ब्लाक अध्यक्ष फूल सिंह उइके, सचिव पंचम सिंह उइके, कोषाध्यक्ष बालाराम आहके, अनिता दमाड़े, महेश, संदीप गर्ग, कैलाश कुमारे, मुकेश इवने, राजेश काजले, शिल्पा प्रधान, एमके उपरारिया, सत्यनारायण चंदेल, सुनीता भेरुआ, उर्मिला चौहान, ओपी देवहारे, सत्यनारायण डोंगरे, राजेश ठागरे,अमजद खान, पीयूष राठौर, सुरेंद्र सिंह चौहान सहित अन्य लोग उपस्थित थे।