वहां मेरा कुछ सामान,कहीं नहीं पड़ा है/
बस किसी को मिले मेरे जीवन के वो गुजरे पल वो मुझे जरूर लौटाना/
है न..
मेरा जो सामान तुम्हारे पास तो पड़ा है।
वह मत लौटाना/ मेरा सामान अपने पास रखना /याद है न..
मेरी तबियत कुछ खराब थी/
तब परेशान नहीं हुए थे न…
जीवन की उन झूठी यादों
तब कौन था मेरा/
मेरा वो सामान
मेरा अपना है,
ये मैं अपने साथ रख लूंगा,
बस मेरा सामान अपने पास रख लेना/
किसी को कोई दुख तो
नहीं है न../
जब मैं पास या दूर नहीं था/
बिना छतरी के भारी वर्षा में
तुम्हारा ढेर सा सामान ले आया था/
मगर
मेरा कुछ सामान कहीं नहीं पड़ा है …
बस झूठ-मूठी यादों में
यह इंसान कहीं बिखरा है/
इसे सिमटा दो
इसे घर तक पहुंचा दो.
सब कर दो बस
डूबती यादों का
मेरा ये सामान वहां जरूर
लौटा दो।