प्रदीप शर्मा संपादक।
शराब घोटाले के आरोप में कुछ दिन जेल की हवा काट आए नईदिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविन्द्र केजरीवाल ने एक कुशल राजनेता की तरह नया दांव चल दिया है। उन्होंने न्यायालय की हिदायतों के चलते अपने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देकर युवा नेत्री आतिश को मुख्यमंत्री बना दिया। अब उनकी यह आतिशबाजी दिल्ली की राजनीति में क्या रोशनी लेकर आएगी। यह इसीसे पता चलता है कि आतिशी ने मीडिया से साफ कह दिया कि असली नेता तो केजरीवाल हैं। वे आगामी चुनाव में उन्हें फिर से जिताने के लिए काम करेंगी। मगर इन सारी तिकड़मों से केजरीवाल की मुश्किलें कम हो जाएंगी अभी कुछ भी कहना संभव नहीं है।
मगर हालात नहीं बदलेंगे
मगर एक पेंच यह है कि यदि चुनाव में श्री केजरीवाल फिर जीत गए तो क्या वे तब भी मुख्यमंत्री बनकर कोर्ट की उन हिदायतों से बचे रहेंगे। जिनके चलते उन्हें पदत्याग करने का यह स्वांग रचाना पड़ा है। जाहिर सी बात है कि तब तक शराब घोटाले के मामले में कोर्ट से फैसला आने की उम्मीदें न के बराबर हैं। और यदि फैसला आ भी जाए तो इसकी गारंटी नहीं है कि वे साफ बरी हो जाएंगे। इसलिए पद से हटकर आतिशी को लाना कोई बड़ा गुल खिलाएगा अभी कहना मुश्किल है। यदि सभी साक्ष्य विद्यमान रहे तो यही हालात तब भी बरकरार रहेंगे।