September 17, 2024 |
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राजनीति में क्या हैं 400 पार के मायने

सियासी जगत में बुलंद मोदी का नारा

Hriday Bhoomi 24

प्रदीप शर्मा संपादक हृदयभूमि 

इन दिनों सियासी जगत में गूंजता “अबकी बार 400 पार” का नारा क्या राजनीतिक ख्याली पुलाव है, या देश की भावी सियासी तस्वीर गढ़ने का मंत्र, इसे समझना आवश्यक है।

लक्ष्य तय करना दलों की रणनीति 

कुछ लोग इसे भाजपा का अतिउत्साह मानकर खारिज कर सकते हैं। इसके उलट यह तस्वीर भी कि 2024 में कोई विपक्षी दल अपने कार्यकर्ताओं को 172, 272 या तीन सौ पार  लक्ष्य देने को तैयार नहीं है। तो फिर भाजपा यह ख्याली पुलाव कैसे पका सकती है, जो इसका हर पदाधिकारियों और कार्यकर्ता एक यही राग गा रहा है। 

400 का इतिहास  

याद रहे अतीत में केवल दो बार कांग्रेस यह गोल्डन फिगर ला सकी है। आजादी के बाद शुरूआती वर्षों जब कांग्रेस के बाद अखिल भारतीय स्तर पर दूसरी कोई बड़ी पार्टी नहीं थी तब और बाद में 1984 के आम चुनाव में तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी की हत्या बाद उमड़ी सहानुभूति लहर में कांग्रेस को यह कामयाबी मिली थी।

अब मोदी मैजिक से उम्मीदें 

फिर अब ऐसा क्या हो गया जो मोदी, अमित शाह और जेपी नड्डा वाली भाजपा “400 पार” का गाना गा रही। तो यह जान लें कि क्या है इस नारे के असल मायने। इसका कारण यह कि 2014 और 2019 की जीत के बाद केंद्र में बनी भाजपा सरकार ने अपने हर उस वादे को पूरा करने का प्रयास किया जो इसके पूर्व किसी पार्टी को कर पाना नामुमकिन सा था। कश्मीर में धारा 370 और विशिष्ट राज्य का दर्जा देने वाले अनुच्छेद 35-ए को एक झटके में दूर किया। इसके बाद तीन तलाक जैसी प्रथा से  मुस्लिम महिलाओं को मुक्त कराने संसद के दोनों सदनों से प्रस्ताव पारित कराया जबकि राज्यसभा में भाजपा अल्पमत में थी।

राममंदिर निर्माण की राह आसान करना 

यह होने के बाद सर्वोच्च न्यायालय में चल रहे रामजन्मभूमि मामले में लगातार सुनवाई होने और कोई भी फैसला आने के एक पखवाड़े पहले संपूर्ण देश में सुरक्षा की व्यापक व्यवस्था की। इससे एससी के ऐतिहासिक फैसले के बावजूद देश की फिजां में कोई अप्रिय बात नहीं हुई।

रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा 

हाल के महीनों में रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा होने दौरान देश के राममय होने का परोक्ष लाभ भी भाजपा के खाते में जाने की बात राजनीतिक प्रेक्षक मान रहे हैं। फिर भी 400 पार वाला यह फिगर कैसे आया लोगों के लिए अबूझ पहेली रहा, तो आईए हम इसे भी सुलझाते हैं।

क्या हैं इसके मायने –

सत्तारूढ़ गठबंधन एनडीए के इस लक्ष्य में भाजपा को 370 तथा अन्य सहयोगी दलों सहित 400 पार जाना तय किया गया है। इसमें भाजपा ने देशवासियों से अपने लिए 370 लक्ष्य जम्मू-कश्मीर से धारा 370 हटाने के लिए मांगा। शेष अन्य सहयोगी दलों की जीत से यह 400 पार जाने की बात है। प्रेक्षकों का मत है कि 2019 में भाजपा को मिले 302 और शेष सहयोगी दलों की जीत से एनडीए 330 के पार चला गया था। मोदी राज में गड़बड़ घोटाले न होने, सरकार की स्वच्छ छवि, सुराज और मोदी की लोकप्रियता देखकर प्रेक्षक इसमें वृद्धि होने का अनुमान लगा रहे हैं।

यह लक्ष्य क्यों है जरूरी –

दरअसल देश के लिए इस लक्ष्य के खास मायने हैं। देश की राजनीति में ऐसे अनेक मसले हैं जिन्हें संसद के दोनों सदनों से पास कर ही सुलझाया जा सकता है। यदि लोकसभा में यह पार्टी और गठबंधन इस आंकड़े को पार कर जाता है तो देश के 28 राज्यों व 8 केंद्र शासित प्रदेशों में से 17 में काबिज भाजपा सरकार दोनों सदनों से पास कर बड़े मसले आसानी से सुलझाए जा सकेंगे

  बस यही है 400 पार जाने का मूलमंत्र। इसे पाने का लक्ष्य पार्टी द्वारा निर्धारित किया गया है जो सभी दलों का काम है। बस वे अपना टारगेट पाने में कितना कामयाब होते हैं इसका जवाब मतदाताओं के पास अभी समय के गर्भ में है।


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