हृदयभूमि, भुवनेश्वर।
हर साल उड़ीसा के जगन्नाथपुरी स्थित मंदिर में विराजी भगवान श्रीकृष्ण, बलराम और माता सुभद्रा की रथयात्रा निकाली जाती है। एक कथा के अनुसार भगवान श्रीकृष्ण के बांसुरी प्रेम से कुपित होकर राधा ने उसे तोड़ दिया था। तब भगवान ने कहा था कि राधा मेरे दिल में बसती हैं। इसी काष्ठ की हमारी प्रतिमा सदियों तक पूजी जाएगा। प्रतीक के रूप में भगवान का काष्ठ रूपी दिल जगन्नाथ में विराजताहै।
जगन्नाथ रथयात्रा
सनातन धर्म में जगन्नाथ रथ यात्रा का बहुत ही खास महत्व है। मान्यताओं के अनुसार रथयात्रा निकालकर भगवान जगन्नाथ को प्रसिद्ध गुंडिचा माता मंदिर पहुंचाया जाता हैं, जहां भगवान 7 दिनों तक आराम करते हैं। इस दौरान गुंडिचा माता मंदिर में खास तैयारी होती है और मंदिर की सफाई के लिये इंद्रद्युम्न सरोवर से जल लाया जाता है। इसके बाद भगवान जगन्नाथ की वापसी की यात्रा शुरु होती है। इस यात्रा का सबसे बड़ा महत्व यही है कि यह पूरे भारत में एक पर्व की तरह निकाली जाती है।
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