टिमरनी की जनता ने सुना दिया फैसला, बस नतीजे का इंतजार
क्या रंग लाएगी भाजपा-कांग्रेस की लड़ाई में जयश की एंट्री
विधानसभा 2023 में इस बार टिमरनी सीट की जंग पिछली बार से निराली है। यूं तो लगातार तीन चुनाव जीतकर चौथी बार मैदान में उतरे भाजपा के संजय शाह और कांग्रेस के युवातुर्क अभिजीत शाह के बीच यह चुनाव माना जा रहा है। मगर दिलचस्पी की बात यह है कि इस समर में जयश प्रत्याशी रमेश मस्कोले के आने से अब चुनावी समीकरण बदल गए हैं। मैदानी क्षेत्र की खबरों से पता चलता है कि वनांचल में जयश ने दोनों बड़े दलों को काफी नुकसान पहुंचाया है। इस कारण भाजपा और कांग्रेस को टिमरनी, सिराली और रहटगांव का किला बचाना होगा। जानकार मान रहे हैं कि रहटगांव में बड़ा लोचा होने की आशंका है।
अलबत्ता दोनों दल राजस्व ग्रामों और टिमरनी, सिराली में अपना गढ़ बचाने में कामयाब हो सकते हैं। सिराली में संजय शाह और भतीजे अभिजीत शाह को मकड़ाई रियासत की साख रेस में बनाए रखेगी। वहीं टिमरनी में संजय शाह की पुरानी पकड़ काम आएगी। हरदा मसनगांव में रहकर संजय शाह का चुनाव मैनेजमेंट संभाल रहे भाजपा के बुजुर्ग नेता की स्ट्रेटेजी टिमरनी के त्रिकोणीय संघर्ष में कितनी कामयाब होगी कहना मुश्किल है। क्योंकि इस दफा पूरे चुनावी समीकरण बदल चुके हैं। यहां कांग्रेस की सशक्त चुनौती के साथ जयश भी बड़ी ताकत मानी जा रही है। इस तरह कांग्रेस के जुझारू युवा नेता अभिजीत शाह तथा जयश के बीच संघर्ष नजर आता है।
इस सीट पर सारा खेल टिमरनी की निर्णायक लीड से होगा। यहां शासकीय कर्मचारी वर्ग की नाराजी का लाभ कांग्रेस ले सकती है। इसमें शासकीय सेवा से त्यागपत्र देकर चुनाव लड़ रहे श्री मस्कोले सेंध लगाकर बड़ा नुकसान पहुंचा सकते हैं। इस सीट पर एक बार जनता ने पार्टियों को दरकिनार कर निर्दलीय प्रत्याशी को भी चुना है। इस कारण यह कहना मुश्किल है कि टिमरनी में भाजपा की जीत आसान है। इस दफा रोचक हुए चुनाव संग्राम की चर्चा सभी चौक-चौराहों पर हो रही है। यदि कोई अगर-मगर नहीं हुआ तो बड़ा उलटफेर होने से इन्कार नहीं किया जा सकता।
अब सभी को जनता के फैसलेे का इंतजार है जो आने वाले समय की राजनीतिक दिशा तय करेगा।